चाणक्य नीति: किसी भी स्त्री को इन अवगुणों से बचना चाहिए. ईश्वर और प्रकृति ने स्त्री को विशेष गुणों से पुरस्कृत किया है. लेकिन जब उसमें गुणों के स्थान पर अवगुण आ जाते हैं तो उसकी सुंदरता, शालीनता, मातृत्व आदि में कमी आ जाती है. जिस कारण वह उस सम्मान से वचिंत हो जाती है जिसकी वह परिवार और समाज में हकदार होती है.


आचार्य चाणक्य ने अपनी चाणक्य नीति में स्त्री के स्वभाव और गुणों की चर्चा करते हुए कहा है कि झूठ बोलना, छल कपट, मूर्खता, अत्यंत लोभ और अपवित्रता से स्त्री को दूर रहना चाहिए. जो स्त्री अपने स्वभाव में इन दोषों को आत्मसात कर लेती है वह अपना स्त्री गुण भूल जाती है. इन दोषों से पूर्ण स्त्री परिवार और समाज में अलग थलग पड़ जाती है हर कोई उसके दोषों की निंदा करता है.

इन 5 दोषों से स्त्री को दूर रहना चाहिए


झूठ बोलना- स्त्री को सदैव ही झूठ बोलने से बचना चाहिए. जो स्त्री झूठ को अपने स्वभाव में शामिल कर लेती है उसे एक न एक दिन दूसरों के सामने लज्जित होना पड़ता है.


छल कपट- यह वह दोष है जो किसी भी स्त्री के लिए पतन का कारण बन जाता है. स्त्री को कभी भी छल कपट नहीं करना चाहिए. यह ऐसा दोष है जो उसके संपूर्ण जीवन को तहस नहस कर सकता है. पोल खुलने पर ऐसी स्त्री को उसके सगे संबंधी भी साथ छोड़ देते हैं.


मूर्खता: स्त्री को गंभीर और विचारशील होना चाहिए. हर विषय को गंभीरता से समझने के बाद ही कोई प्रतिक्रिया देनी चाहिए. जो स्त्री इस बात का ध्यान नहीं रखती है वह मूर्ख कहलाती है.


अत्यंत लोभ- लालच एक बुरी आदत है. लेकिन यही आदत जब किसी स्त्री में आ जाती है तो ये अत्यंत खतरनाक हो जाती है. स्त्री को इस बुरी आदत से बचना चाहिए. नहीं तो उसका संपूर्ण परिवार उसकी इस आदत की वजह से बर्बाद हो सकता है.


अपवित्रता- स्त्री का सबसे बड़ा धर्म है पवित्रता. स्त्री को उसकी पवित्रता की वजह से ही उसे विशिष्ठ स्थान दिया गया है. उसे पूज्यनीय माना गया है. लेकिन जब वह इस पवित्रता को त्याग देती है तो हर किसी की नजरों में उसका सम्मान भी चला जाता है.


चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू, नवरात्रि पर बनने वाले दुर्लभ संयोग के बारे में संपूर्ण जानकारी