Chanakya Niti : चाणक्य एक योग्य शिक्षक थे. उनके पिता भी शिक्षक थे. पिता की इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए चाणक्य ने भी शिक्षक बनने का फैसला किया. शिक्षक बनने से पहले चाणक्य ने वेदों और साहित्य का अध्ययन किया. चाणक्य योग्य शिक्षक होने के साथ साथ एक कुशल अर्थशास्त्री भी थे. वे प्राचीन तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य थे. शिक्षा और अपने अनुभवों से जो कुछ सीखा उसे चाणक्य नीति में सम्मलित किया. चाणक्य तीक्ष्ण बुद्धि के थे वे दूरदर्शी भी थे. उनकी शिक्षाएं और दर्शन की झलक चाणक्य नीति में झलकती है. आइए जानते हैं आज की चाणक्य नीति...
चरित्रहीन स्त्री और बुद्धिहीन मित्र से हमेशा दूर रहना चाहिए
चाणक्य के अनुसार मूर्ख लोगों को कभी उपदेश नहीं देना चाहिए. ऐसा करना समय को बर्बाद करने जैसा है. वहीं चरित्रहीन स्त्री से सदैव दूर रहना चाहिए. चरित्रहीन स्त्री की संगत करने से बदनामी मिलना तय है. समाज में ऐसे व्यक्तिओं को सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता है. साथ ही दुष्ट स्वभाव की स्त्रियों से भी बचना चाहिए. ऐसी स्त्रियों की मदद भी नहीं करनी चाहिए. जिस प्रकार बिच्छु का स्वभाव डंक मारना होता है उसी प्रकार दुष्ट स्त्री समय आने पर अपने स्वभाव के अनुरूप नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती है. व्यक्ति को इन मामलों में सर्तक रहना चाहिए. जहां अच्छे मित्र और गुणों से परिपूर्ण स्त्री व्यक्ति का जीवनद बदल सकती है वहीं मूर्ख मित्र और चरित्रहीन स्त्री व्यक्ति के जीवन को तबाह भी कर सकती है. इसलिए इनके चयन में हमेशा ही सावधानी बरतनी चाहिए.
अनैतिक कार्य करने वाले मित्र हमेशा चोट पहुंचाते हैं
मित्रता करते समय बहुत ध्यान देना चाहिए. मित्र कितना ही अच्छा क्यों न हो अगर वह दुष्ट है और अनैतिक कार्य करने वाला हो तो उससे मित्रता नहीं करनी चाहिए. ऐसे मित्र कभी भी मुसीबत में डाल सकते हैं. इसी प्रकार कटु शब्द बोलने वाली महिला से भी बचना चाहिए. अनैतिक कार्य करने वाला मित्र और कटु वचन बोलने वाली स्त्री की संगत करना स्वयं विष पीने जैसा है. इन दोनों से ही व्यक्ति को बचने की जरूरत है.
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