'चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग' युवाओं के लिए बहुत काम है ये रहीम का दोहा
Motivational Quotes in Hindi: महान कवि रहीमदास का 'चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग' दोहा व्यक्ति के जीवन में बहुत गहरा मतलब रखता है. ये कहीं न कहीं आपकी सफलता से भी जुड़ा है, कैस? जानते हैं.
Motivational Quotes: चंदन के पेड़ पर सांप लिपटे रहते हैं. ये जहरीले सर्पों का प्रिय ठिकाना भी होता है. इन सांपों के डर से कोई भी चंदन के वृक्ष के पास जाने की हिम्मत भी नहीं करता है. चंदन और सांप के इस कनेक्शन का हमारे जीवन से क्या नाता है? चंदन और सांप के इस मेल के बारे में महान कवि रहीमदास ने एक दोहे की भी रचना की है जिसकी मिसाल आज भी दी जाती है. रहीमदास जी का ये दोहा आज के युवाओं को अवश्य ही जानना चाहिए.
'चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे' का अर्थ
भक्तिकाल के महान कवि रहीमदास ने अपने इस दोहे में बताया है कि अच्छे स्वभाव के लोगों का बुरी संगति कुछ नहीं बिगाड़ सकती चाहे वह उस व्यक्ति के अंदर समा ही क्यों ना जाए. अच्छे स्वभाव की खासियत ही यह होती है उसको किसी अनावश्यक चीजों से कोई फर्क नहीं पड़ता, वह अपने में ही मस्त रहता है. जैसे- जिस तरह जहरीले सांप चंदन के पेड़ पर लिपटे रहते है, लेकिन उस पेड़ पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं पड़ता. उसी प्रकार कोई बुरा इंसान भी सज्जन लोगों पर कोई असर नहीं डाल सकता. अच्छे व्यक्ति की खासियत ही यह होती है कि वह सब बुराइयां ग्रहण करते हुए भी कभी अपना व्यवहार में बदलाव नहीं लाता. वह अपने उच्चतम मूल्य को कभी नहीं छोड़ता, चाहें उसके लिए जान ही क्यों ना देनी पड़े. आज के आधुनिक दौर में युवाओं को अपनी संगत पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इस दोहे से सीख लेकर वे अपने जीवन को सफल बना सकते हैं.
रहीमदास कौन थे
भक्तिकाल के कवि रहीमदास का असली नाम अब्दुल रहीम खान-ए-खाना था. इनका जन्म 18 दिसंबर 1556 को लौहार में हुआ था, जो इस समय पाकिस्तान में है. रहीमदास के बारे में खास बात यह है कि यह भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे और इन्होंने कृष्ण भगवान पर बहुत सारी कविताएं भी लिखी थी. इनके प्रसिद्ध दोहे है- टूटे सुजन मनाइए, जौ टूटे सौ बार रहिमन फिरि पोहिए, टूटे मुक्ताहार और बड़े बड़ाई ना करें, बड़ो न बोलैं बोल आदि.
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