Chandra Grahan 2023: चंद्र ग्रहण भारत में कब दिखाई देगा? जानें सूतक काल समय
Chandra Grahan 2023: चंद्र ग्रहण 5 मई 2023 दिन शुक्रवार को लग रहा है. जानते हैं भारत में चंद्र ग्रहण का समय और इससे जुड़ी जानकारी.
Chandra Grahan 2023: पंचांग के अनुसार 130 साल बाद बुद्ध पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. 05 मई 2023 को लगने जा रहा ग्रहण साल का पहला उपछाया चंद्र ग्रहण होगा, जिसका असर कई देशों में दिखाई देगा.
चंद्र ग्रहण को खगोलीय घटना माना जाता है लेकिन धार्मिक दृष्टि से देखें तो पाप ग्रह राहु बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा को ग्रसित (खाता) करता है. आइए जानते हैं भारत में चंद्र ग्रहण का समय और इससे जुड़ी जानकारी.
चंद्र ग्रहण 2023 समय (Chandra Grahan 2023 Time)
साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023 दिन शुक्रवार को लग रहा है. ये चंद्र ग्रहण रात 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होगा और देर रात 1 बजे समाप्त होगा. इस चंद्र ग्रहण की अवधि 4 घंटे 15 मिनट होगी.
चंद्र ग्रहण में राहु के अशुभ प्रभाव से ऐसे बचें (Chandra Grahan Rahu upay)
चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है, कहते हैं कि चंद्र ग्रहण के समय राहु की अशुभ छाया चंद्रमा पर पड़ने से वह दूषित हो जाता है. ऐसे में इसका असर हमारी मानसिक स्थिति पर पड़ता है. व्यक्ति निर्णय लेने में सक्षम नहीं रहता और नींद की समस्याएं आने लगती हैं. यही कारण है कि चंद्र ग्रहण के समय घर से बाहर निकलने की मनाही होती है. कुंडली में चंद्रमा की मजबूत करने के लिए चंद्र ग्रहण के समय शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें, इससे अशुभ प्रभाव का असर नहीं होगा.
भारत में चंद्र ग्रहण कब है? (Chandra Grahan 2023 in India Time)
बुद्ध पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. चंद्र ग्रहण में ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है लेकिन भारत में सूतक काल मान्य नहीं रहेगा.ये उपछाया चंद्रग्रहण है, जिसमें चंद्रमा का पथ केवल मलिन होता है यानी चंद्रमा का रंग मलिन हो जाता है, इसमें चंद्रमा का कोई भी भाग कटा हुआ दिखाई नहीं देता. उपछाया चंद्र ग्रहण में चंद्रमा अद्श्य नहीं होता इसलिए इसमें सूतक का विचार नहीं किया जाता.
क्या है उपछाया चंद्र ग्रहण ? (Upchaya Chandra Grahan)
सूर्य, पृथ्वी औऱ चंद्र, इन तीन ग्रहों की वजह से ग्रहण होते हैं. जब सूर्य और चंद्र के बीच पृथ्वी आती है और ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में होते हैं, तब चंद्र ग्रहण होता है. ऐसे ग्रहण की धार्मिक मान्यता रहती है, लेकिन जब ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में हों, लेकिन पृथ्वी की सीधी छाया चंद्र पर न पड़े तो उपछाया चंद्र ग्रहण होता है. इस ग्रहण में चंद्र के ऊपर पृथ्वी की धूल जैसी छाया पड़ती है, जो आसानी से दिखाई नहीं देती.
वैशाख पूर्णिमा पर अद्भुत संयोग, ये खास उपाय करने से बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा, बस न करें ये गलती
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.