Chandra Grahan 2024: साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च को लगने जा रहा है. ये चंद्र ग्रहण कन्या राशि और उत्तराफाल्गुन नक्षत्र में लगेगा. चंद्र ग्रहण की के दिन केतु भी कन्या राशि में ही मौजूद रहेगा. यह चंद्र ग्रहण सुबह 10.23 बजे शुरू होगा और दोपहर 3.02 बजे तक रहेगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा.
विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण एक खगोलिया घटना है लेकिन धर्म ग्रंथ की राहु-केतु के कारण चंद्र ग्रहण का योग बनता है. आइए जानते हैं आखिर क्यों चंद्र ग्रहण के पीछे राहु-केतु जिम्मेदार बताए गए हैं.
चंद्र ग्रहण के पीछे राहु-केतु जिम्मेदार (Chandra Grahan Story in Hindi)
पौराणिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन के दौरान देवों और दानवों के बीच अमृत पान को लेकर विवाद चल रहा था, विष्णु जी जानते थे कि अगर दैत्यों ने अमृतपान कर लिया तो वह अमर हो जाएंगे और समस्त सृष्टि पर संकट में आ जाएगी. तो भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण कर अमृत को देवताओं और असुरों के बीच बराबर – बराबर भागों में बांटने की बात कही.
स्वरभानु से है चंद्र ग्रहण का नाता
मोहिनी के मायाजाल में फंसकर दैत्य अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. दैत्यों में एक अति चतुर असुर था स्वरभानु, वह विष्णु जी की इस चाल को समझ गया. अमृत पाने के लिए उसने देवता का रुप धारण कर चुपचाप अमृत ग्रहण करने देवताओं की पंक्ति में जा बैठा. इसे भगवान विष्णु जान नहीं पाए लेकिन उसकी चालाकी को सूर्य और चंद्रमा ने देख लिया और भगवान विष्णु से ये बात बता दी.
इसलिए चंद्रमा को ग्रसते हैं राहु-केतु (Rahu Ketu behind Grahan)
इसपर विष्णु भगवान को क्रोध आया और अपने सुदर्शन चक्र से असुर स्वरभानु का गला काट दिया. चूंकि वह अमृतपान कर चुका था इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई. सिर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु बन गया. तभी से राहु-और केतु, सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानने लगे. ये राहु और केतु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा को ग्रस लेते हैं. इसलिए चंद्र ग्रहण होता है.
चंद्र ग्रहण पर राहु-केतु का प्रभाव
जब राहु या केतू की युति चंद्र के साथ होती है तो चंद्र ग्रहण दोष शुरू हो जाता है. चंद्रमा की किरणे दूषित हो जाती है. राहु-केतु के दुष्प्रभाव तेज हो जाते हैं. नकारात्मक ऊर्जा सक्रिय होने लगती है. यही वजह है कि चंद्र ग्रहण के दौरान घर से बाहर निकलने, खाना खाने, पूजा करने की मनाही होती है. सिर्फ मंत्र जाप करने की सलाह दी जाती है क्योंकि मंत्रों की शक्ति से ये दुष्प्रभाव व्यक्ति को प्रभावित नहीं कर पाते.
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