चाणक्य नीति : सच्चरित्र पाते हैं बड़ी सफलता, व्यक्ति की छवि होती है सर्वाधिक महत्वपूर्ण
Chankya Niti for Character and Image : तक्षशिला के प्रकांड पंडित आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य चरित्र को सर्वाेच्च मानते थे. उन्होंने सदैव सच्चाई पर अडिग चरित्रवान व्यक्तियों की रक्षा करने का प्रयास किया.
आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य सच्चरित्रता के धनी थे. उन्होंने विदेशी आतताइयों को हराया. मगध जैसे विशाल साम्राज्य के मालिक सम्राट धननंद को हराया. इन दो बड़े युद्धों के दौरान उन्होंने हर उस व्यक्ति की रक्षा की जो देश के प्रति समर्पित और चरित्रवान थे.
आचार्य चाणक्य ने धननंद के विरुद्ध सबसे महत्वपूर्ण और विशाल युद्ध लड़ा. आचार्य स्वयं मगध के मूल निवासी थे. वे पढ़ने के लिए तक्षशिला गए और वहीं अध्यापक हो गए. देश की एकता और अखंडता के लिए मगध लौटे और वहां के आततायी साम्राज्य का पतन कर दिया. इस युद्ध के दौरान मगध की सत्ता के लिए कार्यरत प्रत्येक ईमानदार और चरित्रवान व्यक्ति की उन्होंने रक्षा की. उन्होंने व्यक्ति से नहीं व्यवस्था से विरोध रखा.
सम्राट धननंद और उनके चाटुकारों के अहंकार से पीड़ित मगधवासियों को उन्हांेने मुक्ति दिलाई. इस लड़ाई में उन्होंने मगध केवल उन्हीें लोगों को दंड दिलाया जो भ्रष्ट और कपटपूर्ण आचरण में संलग्न थे. उन्होंने धननंद के मंत्रिमंडल के ऐसे प्रत्येक व्यक्ति की रक्षा की जो चरित्रवान और सच्चा था. इसमें मगध का सर्वाेच्च अमात्य भी शामिल था. इस अमात्य ने चाणक्य के खिलाफ धननंद की पराजय के बाद भी युद्ध जारी रखा. इसके बावजूद आचार्य चाणक्य ने उसकी रक्षा की और चंद्रगुप्त का मंत्रिमंडल प्रमुख बनाया. कारण, वह व्यक्ति सच्चरित्र और देशभक्त था. इसी प्रकार अन्य तमाम धननंद प्रेमी सच्चे लोगों की चाणक्य ने रक्षा की. इन सभी लोगों आगे चलकर चंद्रगुप्त के साम्राज्य को मजबूती प्रदान की. विस्तार दिया और प्रभावशाली बनाया.
चाणक्य का मानना था कि सार्वजनिक जीवन में ईमानदार छवि वाले सच्चरित्र लोगों का ही सबसे अधिक प्रभाव होता है. व्यक्तिगत लाभ के लिए कर्तव्यों से विमुख लोग बड़े प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण नहीं होते हैं.