Chaturmas 2021 Live update: चातुर्मास के दौरान नहीं होता है कोई शुभ कार्य, जानिए महत्व व नियम
Chaturmas 2021 Live update: हिंदू धर्म के अनुसार चातुर्मास में सभी मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं क्योंकि इस समय भगवान विष्णु शयन करते होते है. चातुर्मास 4 महीने का होता है आइये जानें चातुर्मास में क्या किया जाना चाहिए और क्या नहीं किया जाना चाहिए?
पंचांग के मुताबिक 20 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा है, जो कि कार्तिक शुक्ल की एकादशी तिथि, जिसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं, को समाप्त होगा. इस दौरान भगवान विष्णु शयन करते हैं. इसलिए इस दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं. अतः जिन लोगों को कोई मांगलिक कार्य करने हैं, वे 20 जुलाई के पहले तक कर लें.
चातुर्मास का प्रारंभ आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से होगा. यह एकादशी तिथि 20 जुलाई 2021 को है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयानी एकादशी कहते हैं. मान्यता है कि इसी दिन से भगवान विष्णु शयन हेतु पाताल लोक चले जाते हैं और चार माह बाद देवउठनी एकादशी को पुनः पृथ्वी लोक पर आते हैं.
चातुर्मास में आध्यात्मिक कार्यों के साथ -साथ पूजा पाठ का विशेष महत्व बताया गया है. चातुर्मास में सावन {श्रावण मास} के महीने को सर्वोत्तम मास माना गया है. श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित होता है. इसमें भगवान शिव और माता पार्वती धरती पर भ्रमण करने निकलते हैं और इस दौरान पृथ्वी लोक के कार्यों की देखभाल भगवान शिव ही करते हैं. माना जाता है कि चातुर्मास में जरूरतमंद व्यक्तियों को दान देने से भगवान प्रसन्न होते हैं.
सावन मास को चातुर्मास का पहला मास माना जाता है. सावन मास भगवान विष्णु को समर्पित होता है. चातुर्मास का दूसरा माह भाद्रपद होता है. इस मास में अनेक पर्व और त्योहार होते हैं. अश्विन मास, चातुर्मास का तीसरा माह होता है. इस मास के पर्व और त्योहारों में नवरात्रि और दशहरा प्रमुख पर्व होता है. चतुर्मास का चौथा और आखिरी महीना कार्तिक मास होता है. इसमें दीपावाली का त्योहार और देवोत्थान एकादशी होती है. इस नाह से शुभ और मांगलिक कार्य शुरू होते हैं.
हिंदू परंपरा के अनुसार चातुर्मास में मांगलिक और शुभ कार्यों को करना अशुभ होता है. इनमें विवाह, मुंडन, सगाई, गृहप्रवेश आदि जैसे शुभ और मांगलिक कार्य शामिल हैं. धार्मिक मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं, जिस कारण उनका आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है. शुभ कार्यों में सफलता के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद आवश्यक माना गया है.
हिन्दी पंचांग के अनुसार चतुर्मास, आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से आरंभ होता है. इस साल यह तिथि 20 जुलाई 2021 को है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु पाताल लोक में विश्राम के लिए चले जाते हैं और उनका यह विश्राम काल देवउठनी एकादशी को पूर्ण होता है. यह अवधि चार महीने की होती है. इसे लिए इसे चतुर्मास कहते है.
आषाढ़ मास 25 जून 2021 से प्रारंभ हो चुका है. धार्मिक दृष्टि से यह मास बहुत ही महत्व पूर्ण स्थान रखता है. इसी मास में चतुर्मास का भी शुभारंभ होता है. इस दृष्टि से इस मास धार्मिक और आध्यात्मिक कार्यों को करने से असीम पुण्य लाभ मिलता है.
बैकग्राउंड
Chaturmas 2021 Live update: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास का प्रारम्भ होता है. जो कि चार महीने तक रहता है. इस दौरान भगवान विष्णु पाताल लोक में जाकर विश्राम करते हैं. इस दौरान सृष्टि का कार्य भगवान शिव देखते हैं. हिंदू धर्म में मान्यता है कि इस दौरान सभी मांगलिक कार्य बंद होते हैं.
नही होता शुभ कार्य
भगवान विष्णु को पालन हार कहा जाता है. इनके विश्रामावस्था में चले जाने से कोई भी मांगलिक कार्य जैसे – शादी-विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत {जनेऊ} आदि करना शुभ नहीं माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस समय मांगलिक कार्य करने से भगवान विष्णु के साथ देवी-देवताओं का आशीर्वाद नहीं प्राप्त होता है. किसी भी मांगलिक कार्य में सबसे पहले देवी देवताओं का आवाहन किया जाता है और उन्हें शाक्षी मानकर ही शुभ कार्य किये जाते हैं. परन्तु भगवान विष्णु चतुर्मास में निद्रावस्था में होते हैं इस लिए वे मांगलिक कार्य में उपस्थिति नहीं हो पाते हैं. इसी लिए इन महीनों में मांगलिक कार्यों पर रोक होती है.
व्यावहारिक दृष्टि में देखा जाये तो चातुर्मास का प्रारंभ आषाढ़ मास में होता है. यह मास वर्षात का माना जाता है. वर्षात महीने में मांगलिक कार्यों को कर पाना काफी मुश्किल होता है. चारों तरह जल भराव, कीचड़ और कीड़े- मकोड़े होते हैं. ऐसे में मांगलिक कार्यों का आयोजन मुश्किल होता है. इसलिए भी चातुर्मास में मांगलिक कार्य स्थगित रखे जाते हैं.
हिंदू धर्म में चातुर्मास आध्यात्मिक कारणों से बहुत ही महत्व रखता है. इस दौरान भगवान शिव की पूजा की जाती है. भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. चतुर्मास में इनकी पूजा करने से भक्त कि सभी मनोकामना पूरी होती है.
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