Chaturmas 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शुरू होता है. इस एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. हिंदू परंपरा के मुताबिक़, आज देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अगले चार महीने तक के लिए पाताल लोक विश्राम करने चले जायेंगे. इसी चार महीने की अवधि को चातुर्मास कहते हैं. देवोत्थान एकादशी के दिन जब भगवान विष्णु उठकर पुनः पृथ्वी लोक आयेंगे. तब यह चातुर्मास समाप्त होगा. ये चातुर्मास का चार महीना योगियों के लिए बहुत शुभ होता है. इस दौरान मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं जबकि धार्मिक कार्य किये जाते हैं. इस चातुर्मास में व्यक्तियों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए. इसके कुछ नियम है. जिनका संयमित तरीके से पालन करके हम पुण्य के भागीदार बन सकते हैं तथा सभी पापों से मुक्त होते हैं.
चातुर्मास के नियम:
- चातुर्मास के दौरान लोगों को जमीन पर सोना चाहिए. मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन श्री हरि के योगनिद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे देवोत्थान एकादशी कहते हैं, को निद्रा से उठते है. इस लिए लोगों को पूरे चातुर्मास यानि कार्तिक पूर्णिमा तक भूमि पर सोना चाहिए. इससे व्यक्ति को धन की कमी नहीं होती है.
- चातुर्मास के दौरान हमें सभी बुराईयों का त्याग कर देना चाहिए. व्यक्ति को इस दौरान परनिंदा करना और सुनना दोनों से बचना चाहिए. इससे पाप से मुक्ति मिलती है.
- इस चातुर्मास में व्यक्ति को शांत चित्त होकर भोजन करना चाहिए. उन्हें भोजन के दौरान वार्तालाप नहीं करना चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से अन्न अशुद्ध हो जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति शांत तरीके से भोजन करता है उनके जीवन से दुख नष्ट हो जाते हैं.
- चातुर्मास में व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, उपवास रखकर स्नान , दान और भगवान विष्णु का ध्यान और जप करना चाहिए. उन्हें बर्तन के बजाय शुद्ध पत्तल पर भोजन करना चाहिए और शांत स्वभाव से जीवन यापन करना चाहिए. इससे विशेष लाभ मिलता है.
- चातुर्मास में नींबू, मिर्च, उड़द और चने का त्याग कर देना चाहिए.
- चातुर्मास में जो भी व्यक्ति केवल दूध पीकर अथवा फल खाकर जीवन यापन करता है उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं.