Chaturmas 2022 Date: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल एकादशी तिथि को भगवान श्रीहरि क्षीरसागर में योग निद्रा के लिए चले जाते है और वे वहां चार माह विश्राम करते हैं. इस दौरान पृथ्वी लोक की जिम्मेदारी भगवन शिव की होती है. चार माह के बाद भगवान विष्णु पुनः कार्तिक माह की शुक्ल एकादशी तिथि को पृथ्वी लोक वापस आयेंगे. इस चार माह की अवधि को चातुर्मास कहते हैं. आषाढ़ माह की शुक्ल एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहते हैं. योग निद्रा के बाद भगवान श्रीहरि देवउठनी एकादशी को पृथ्वी लोक आते हैं.
मान्यताओं के अनुसार, चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु पृथ्वी लोक पर नहीं रहते हैं. इसलिए चातुर्मास के दौरान कुछ ऐसे कार्य होते हैं जिसे भूलकर भी नहीं करना चाहिए, नहीं तो जीवन में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
चातुर्मास में भूलकर भी न करें ये काम
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीहरि क्षीर सागर में शेषनाग की शैय्या पर योग निद्रा में विश्राम करते हैं. इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य जैसे- विवाह, मुंडन, तिलक, गृह प्रवेश आदि नहीं किये जाते हैं. क्योंकि इस दौरान किये गए शुभ या मांगलिक कार्यों का शुभ फल नहीं प्राप्त होता है.
चातुर्मास के दौरान गुड़, तेल, शहद, मूली, परवर, बैंगन, साग-पात आदि का सेवन वर्जित माना जाता है. कहा जाता है कि इन चीजों के सेवन से स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है. सेहत ठीक न होने से भगवान विष्णु के ध्यान करने में बाधा आ सकती है.
चातुर्मास के दौरान भक्तों को एकांतवास करना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जमीन पर शयन करना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा न करने से व्यक्ति के जीवन में धन की कमी बनी रहती है.
चातुर्मास में भोजन के दौरान वार्तालाप नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन कष्टयुक्त और दुःखदायी बना रहता है.
चातुर्मास के दौरान नींबू, मिर्च, उड़द और चने का सेवन नहीं करना चाहिए.
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