Chaturmas 2021: देवशयनी एकादशी के बाद लगेगा चातुर्मास, न करें ये वर्जित कार्य, देवता होंगे नाराज
Chaturmas 2021: पंचांग के अनुसार, 20 जुलाई देवशयनी एकादशी के दिन से चातुर्मास शुरू होकर 14 नवंबर देवोत्थान एकादशी तक रहेगा. इस दिन वर्जित कार्य करने से देवता नाराज होते हैं.

Chaturmas Devshayani Ekadashi 2021: हिंदू धर्म में मान्यता है कि वर्षा काल के चार महीने चातुर्मास कहलाते हैं. इसका प्रारंभ देवशयनी एकदशी के दिन से शुरू होकर देवोत्थानी एकादशी के दिन तक रहता है. इस चातुर्मास में भगवान विष्णु, सभी देवी-देवताओं के साथ पाताल लोक में शयन करते हैं. जिसके चलते इस दौरान विवाह आदि कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किए जाते. इस दौरान इन वर्जित कार्यों को नहीं किया जाता है, नहीं तो देवता नाराज हो जाते हैं. आइये जानें इन वर्जित कार्यों के बारे में.
1-हिंदू धर्म के मुताबिक़, चातुर्मास में विवाह, मुण्डन, जनेऊ आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किये जानें चाहिए. माना जाता है कि ऐसा करने से शुभ फल नहीं प्राप्त होता है.
2-चातुर्मास में सदैव सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. इस दौरान मांस,मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए. गैर सात्विक करने से भगवान की अशुभता मिलती है.
3- चातुर्मास के महीनों में अर्थात श्रावण मास में साग और पत्तेदार सब्जी, भादौ में बैंगन, दही, अगहन में दूध तथा कार्तिक में लहसुन और उड़द की दाल खाना शुभ नहीं होता है.
4- चातुर्मास में वर्षा ऋतु होने के कारण मसालेदार और तेलयुक्त भोजन नहीं ग्रहण करना चाहिए. इससे सेहत प्रभावित होता है.
5- चातुर्मास में व्यक्ति को सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए. इस दौरान उन्हें नियमित रूप से व्रत और संयम का पलन करना चाहिए.चातुर्मस में देर तक सोना नुकसानदायक होता है.
6- वर्षा ऋतु के कारण इस दौरान सूर्य और चंद्रमा की शक्ति कमजोर होती है. परिणाम स्वरूप व्यक्तियों में भी शक्ति का ह्रास होता है. इसलिए शरीर की ऊर्जा और शक्ति को बनाए रखना है तो नियमित व्यायाम करना चाहिए.
7-चातुर्मास मांगलिक कार्यों के लिए तो वर्जित होता है परंतु यह काल धार्मिक कार्यों, व्रत एवं पूजा पाठ के लिए उत्तम होता है. इस काल में धार्मिक अनुष्ठान करने से कई गुना शुभ फल प्राप्त होता है.
8- चातुर्मास में व्यक्ति को अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए. इस काल में आवश्यकता से अधिक बोलना नुकसान दायक सावित हो सकता है.
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