18 नवंबर को है कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि और इसी तिथि से शुरु हो जाएगा छठ पर्व(Chhath Parv). जिसकी रौनक अगले चार दिनों तक देखने को मिलेगी. कल नहाय खाय(Nahay Khay) से इस पर्व की शुरुआत हो जाएगी. फिर दूसरे दिन होगा खरना(Kharna), तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर इस व्रत का पारण किया जाएगा. 


इस व्रत को बेहद ही विशेष माना जाता है जिसमें किसी तरह की मूर्ति पूजा नहीं होती बल्कि छठी मैया और सूर्यदेव का नाम लेकर ही यह व्रत संपूर्ण किया जाता है. लेकिन इस दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना ज़रुरी होता है और वो बातें हम आपको बताने जा रहे हैं.


पवित्रता का रखें विशेष ध्यान



छठ पूजा में पवित्रता की खास अहमियत है. इसीलिए छठ पूजा(Chhath Puja 2020) के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है जिससे तात्पर्य पवित्रता ही है. इस दिन प्रसाद बनाने के दौरान विशेष ध्यान दें. हाथ - पैरों को अच्छे से धोकर प्रसाद बनाएं 


प्रसाद बनाते समय इस बात का रखें ध्यान



छठ पूजा का पर्व चार दिनों तक चलता है और दूसरे दिन यानि खरना के दिन प्रसाद बनाया जाता है. जिस दिन प्रसाद बनाया जाए उस दिन व्रती या प्रसाद बनाने वाले को तब तक अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए, जब तक कि प्रसाद बन ना जाए. वहीं प्रसाद बनने के बाद ही नहा धोकर खीर ग्रहण करनी चाहिए और फिर व्रत का पारण होने तक अन्न जल ग्रहण नहीं किया जाता.  वहीं जहां प्रसाद बन रहा हो वहां भूलकर भी भोजन ग्रहण ना करें क्योंकि इससे पूजा अशुद्ध हो जाती है. 


प्रसाद का रखें पूरा ध्यान


छठ पूजा के प्रसाद का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए. इस प्रसाद को कोई झूठा ना करे इस बात का बहुत ही ध्यान रखना होता है. तो वहीं प्रसाद को गलती से भी पैर नहीं लगना चाहिए. 


अर्घ्य देते समय इन बातों का रखें ध्यान



सूर्य को अर्घ्य देते समय भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरुरी होता है. जब भी सूर्य को अर्घ्य दें तो भूलकर भी चांदी, स्टील, शीशा व प्लास्टिक के पात्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.


ध्यान में रखें ये ज़रुरी बातें


कई लोग विशेष मन्नत के लिए छठी मैया से मनौती भी मांगते हैं इसीलिए ज़रुरी है कि उस मनौती को समय रहते पूरा कर लिया जाए. वहीं इस व्रत को करने वाले या मानने वाले को भूल से भी किसी का बुरा नहीं सोचना चाहिए. क्योंकि इससे व्रत पूरा नहीं माना जाता.