छठ पूजा का आगाज़ हो चुका है. आज नहाय खाय से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है. इस पर्व में सूर्य और छठी मैया की उपासना का विशेष महत्व होता है. आज नहाय खाय के दौरान व्रती अपने छठ व्रत की सफलता की कामना करते हैं और चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में तीसरे दिन कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. लेकिन आखिरकार इस व्रत में व्रती कमर तक पानी में क्यों खड़े होते हैं...इसके पीछे भी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. 


इसलिए पानी में खड़े होकर दिया जाता है अर्घ्य


अक्सर देखा जाता है कि छठ पूजा पर कमर तक पानी में खड़े होकर ही अर्घ्य दिया जाता है. और इसके पीछे निम्न कारण भी बताए जाते हैं.    




  • ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास के दौरान श्री हरि जल में ही निवास करते हैं. और सूर्. को ग्रहों का देवता माना जाता है. ऐसे में मान्यता है कि नदी या तालाब में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाए तो भगवान विष्णु और सूर्य दोनों की ही पूजा एक साथ हो जाती है। 

  • इसके अलावा एक और कारण है, कहते हैं कि किसी भी पवित्र नदी में प्रवेश किया जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. यही कारण है कि नदी या फिर तालाब में खड़े होकर अर्घ्य देने से और भी शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं. 

  • वहीं ऐसा भी माना जाता है कि सूर्य को जल अर्पित करते हुए जो जल नीचे गिरता है उस जल का छींटा भक्तों के पैरों को ना छूए इसीलिए अर्घ्य पानी में खड़े होकर देने का विधान है. 


छठी मैया की होती है आराधना


इस पर्व में विशेष रूप से छठी मैया की पूजा की जाती है. शास्त्रों के मुताबिक छठी माता भगवान सूर्य की मानस बहन हैं। और उनकी पूजा करने से सूर्यदेव को प्रसन्न किया जा सकता है. 


20 नवंबर को है शुक्ल पक्ष की षष्ठी


छठ पूजा का पर्व 4 दिनों तक चलता है. जिसमें पहले दिन नहाया खाय, दूसरे दिन खरना और तीसरे दिन मुख्य छठ पूजा होती है. इसमें ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. वहीं चौथे दिन उगले सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है.