(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhath Puja 2021: छठ पूजा के दिन लंबा सिंदूर क्यों लगाती हैं महिलाएं, जानें क्या है इसके पीछे वजह
Chhath Puja 2021: हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष महत्व है. हर शादीशुदा महिला के लिए सिंदूर सुहाग का प्रतीक माना जाता है. छठ पर्व पर इस सिंदूर का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है.
Chhath Puja 2021: हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष महत्व है. हर शादीशुदा महिला के लिए सिंदूर सुहाग का प्रतीक माना जाता है. छठ पर्व (Chhath Parv 2021) पर इस सिंदूर का महत्व (Sindoor Importance On Chhath 2021) और ज्यादा बढ़ जाता है. इस दिन महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देने के बाद नाक तक लंबा सिंदूर लगाती हैं. इस दिन महिलाएं संतान की मंगल कामना के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. और छठ के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के बाद सिंदूर का भी काफी महत्व माना जाता है. आइए जानते हैं छठ पूजा के दौरान सिंदूर का महत्व और नाक तक लंबा सिंदूर लगाने का कारण के बारे में.
छठ पूजा में सिंदूर का महत्व (Chhath Puja Significance)
छठ व्रत सिर्फ संतान के लिए ही नहीं, बल्कि पति की लंबी उम्र के लिए भी रखा जाता है. इसलिए इस व्रत में सिदूंर का भी खास महत्व होता है. इस दिन महिलाएं पति और बच्चों के लिए बड़ी निष्ठा और तपस्या के साथ व्रत रखती हैं. इसी वजह से व्रत के बाद महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर भरती हैं.
ये है सिंदूर के पीछे की मान्यता
ऐसा माना जाता है कि नाक तक सिंदूर लगाने से पति की आयु लंबी होती है. कहा जाता है कि वैवाहिक महिलाओं को सिंदूर हमेशा इस तरह लगाना चाहिए जो लंबा हो और लोगों को आसानी से दिख सके. ये सिंदूर माथे से लेकर पूरी मांग तक भरा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि जो महिलाएं पूरी निष्ठा और नियमों के साथ व्रत रखती हैं छठ मैय्या उनके परिवार को सुख-समृद्धि से भर देती हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
अंतिम दिन उदीयमान सूर्य को देते हैं अर्घ्य
छठ पर्व का समापन 11 नवंबर, गुरुवार यानी कल के दिन हो रहा है. इस दिन उदीयामान सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन सुबह से ही घाटों पर ऋद्धालुओं की भीड़ उमड़ना शुरू हो जाती है. तीसरे दिन डूबते सूरज को अर्घ्य देने के बाद व्रती और उनके परिवार के लोग घाट पर ही बैठ कर जमकर गाना-बजाना और भजन आदिकरते हैं. और सुबह सूर्य निकलने का इंतजार करते हैं. उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. इसके बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है और बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेते हैं. इसके बाद व्रती महिलाएं घर आकर अदरक और पानी से अपने 36 घंटे का निर्जला व्रत खोलती हैं. और फिर पकवान आदि खाकर व्रत का पारण किया जाता है.
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