(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Chhath Puja 2021 Arghya: आज इस समय दिया जाएगा सूर्य को अर्घ्य, छठ मैय्या को प्रसन्न करने के लिए जानें पूजा विधि
Chhath Puja 2021: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ पर्व आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन सूर्य देव की उपासना की जाती है.
Chhath Puja 2021 Arghya Time: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ पर्व (Chhath Puja 2021) आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन सूर्य देव की उपासना (Surya Dev Puja) की जाती है. संतान के सुखी जीवन और संतान प्राप्ति के लिए छठ का व्रत (Chhath Vrat 2021) रखा जाता है. 36 घंटे निर्जला व्रत रखकर महिलाएं सूर्य देव की उपासना करती हैं और छठ मैय्या की पूजा (Chhath Maiya Puja) करती हैं. नहाय-खाय और खरना के बाद आज के दिन डूबते सूरज का अर्घ्य दिया जाता है. वहीं, 11 नवंबर के दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है.
छठ व्रत रखने और पूजा करने से छठ मैय्या की आशीष मिलती है. संतान को जीवन में सुख मिलता है और सूर्य देव की कृपा से निरोगी जीवन की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं 10 नवंबर 2021, बुधवार के दिन यानी आज संध्या के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. आइए जानते हैं पहला सूर्य अर्घ्य किस समय दिया जाएगा.
छठ पूजा 2021 अर्घ्य मुहूर्त (Chhath Puja 2021 Arghya Muhurat)
-छठ पूजा के तीसरे दिन आज शाम के समय डूबते हुए सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा और कल उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा.
-आज शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय: शाम 05 बजकर 30 मिनट पर.
-कल प्रात: उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय: प्रात: 06 बजकर 41 मिनट पर.
छठ पूजा विधि (Chhath Puja Vidhi)
चार दिवसीय छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. छठ पर्व का तीसरा तीन मुख्य होता है. कठिन व्रतो में से एक छठ का व्रत 36 घंटे तक निर्जला रखा जाता है. खरना के दिन शाम को गुड़ वाली खीर खाते हैं और फिर 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है. खरना के दिन ही छठ पूजा की सारी तैयारी कर ली जाती है.
कार्तिक शुक्ल षष्ठी यानी आज के दिन सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और छठी मैय्या की पूजा करते हैं. षष्ठी तिथि के दिन परिवार का पुरुष सदस्य डाल को घाट पर ले जाता है और व्रती स्नान के बाद डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करते हैं. दूध और गंगा जल से अर्घ्य दिया जाता है. घाट पर ही छठी मैय्या की पूजा की जाती है. अगले दिन सुबह फिर से उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है. इसके बाद व्रती महिलाएं व्रत का पारण करती हैं.
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