Chhath Puja Sandhya Arghya 2021: 10 नवंबर को दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें संध्या सूर्य अर्घ्य समय और पूजा विधि
Chhath Puja Sandhya Arghya 2021 Time: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पर्व मनाया जाता है. इस बार छठ पर्व 10 नवंबर के दिन मनाया जाएगा. 8 नवंबर से छठ पर्व की शुरुआत हुई थी.
Chhath Puja Sandhya Arghya 2021 Time: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पर्व मनाया जाता है. इस बार छठ पर्व 10 नवंबर के दिन मनाया जाएगा. 8 नवंबर से छठ पर्व की शुरुआत हुई थी. और आज 9 नवंबर 2021, मंगलवार के दिन छठ का दूसरा पर्व है खरना. इस दिन प्रसाद बनाया और रात के समय ग्रहण किया जाता है. मुख्य रूप से छठ पर्व बिहार,झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. छठ पर्व के दौरान 36 घंटे निर्जला व्रत रखा जाता है. और सूर्य देव और छठी मैय्या की पूजा और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है.
ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है. विशेषतौर से ये व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है. जो लोग संतान सुख से वंचित हैं उनके लिए ये व्रत वरदान साबित होता है. आइए जानते हैं कल 10 नवंबर के दिन संध्या अर्घ्य का समय, पूजा विधि और पूजा सामग्री के बारे में .
छठ पूजा संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य समय (Chhath Puja Sandhya Arghya Time 2021)
10 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय : शाम 05:30 बजे है.
11 नवंबर (उषा अर्घ्य) सूर्योदय का समय : सुबह 06:41 बजे है.
छठ पूजा सामग्री (Chhath Puja Samagri )
छठ पूजा के समय पूजा सामग्री को पहले से ही तैयार कर लें. नए वस्त्र, बांस की दो बड़ी टोकरी या सूप, थाली, पत्ते लगे गन्ने, बांस या फिर पीतल के सूप, दूध, जल, गिलास, चावल, सिंदूर, दीपक, धूप, लोटा, पानी वाला नारियल, अदरक का हरा पौधा, नाशपाती, शकरकंदी, हल्दी, मूली, मीठा नींबू, शरीफा, केला, कुमकुम, चंदन, सुथनी, पान, सुपारी, शहद, अगरबत्ती, धूप बत्ती, कपूर, मिठाई, गुड़, चावल का आटा, गेहूं आदि सामान की जरूरत पड़ती है.
छठ पूजा विधि (chhath Puja Vidhi)
-छठ पर्व के दिन सुबह स्नान आदि के बाद व्रत संकल्प लें. इस दौरान इस मन्त्र का उच्चारण किया जाता है-
ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
-छठ का व्रत पूरे दिन निराहार और निर्जला रखा जाता है. इसके बाद शाम को नदी या तालाब में स्नान आदि करने के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है.
-सूर्य अर्घ्य देने के लिए बांस की तीन बड़ी टोकरी या बांस या पीतल के तीन सूप लेकर इनमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी रखें. इसके साथ ही थाली, दूध और गिलास लें. नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई और चंदन आदि फल भी शामिल करें. इसमें ठेकुआ, मालपुआ, खीर, सूजी का हलवा, पूरी, चावल से बने लड्डू रखें. इन सभी सामग्री को टोकरी में सजा लें और सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें. ध्यान दें कि सूप में एक दीपक भी हो. नदी में उतर कर सूर्य देव को प्रणाम करअर्घ्य दें.
अर्घ्य देते समय इस मंत्र का उच्चारण करें- ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥
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