Chhath Puja Aarti And Mantra 2021: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देश के कई हिस्सों में छठ पर्व मनाया जाता है. चार दिवसीय इस पर्व की शुरूआत 8 नवंबर, सोमवार के दिन से हुई थी. कल 10 नवंबर के दिन शाम के समय डूबते सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा और 11 नवंबर के सुबह उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठ का समापन होगा. देश के कई हिस्से जैसे उत्तरी भारत, बिहार, झारखंड आदि जगहों पर धूमधाम से छठ का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सूर्य देव और छठ मैय्या की पूजा की जाती है और अर्घ्य दिया जाता है. 


कहते हैं कि छठ का व्रत महिलाएं संतान के लिए रखती हैं. जिन दांपत्य के घर संतान नहीं होती. वे छठ का व्रत रख छठ मैय्या से संतान प्राप्ति की इच्छा प्रगट करते हैं और मैय्या उनकी इच्छा जल्द ही पूरी भी करती है. इस व्रत में सूर्य देवता का विधिवत तरीके से व्रत रखा जाता है. 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद सूर्य भगवान की पूजा-अर्चना की जाती है और छठ मैय्या की आरती की जाती है. आइए जानते हैं सूर्य मंत्र और छठ मैय्या की आरती के बारे में. 


छठ पूजा मंत्र (Chhath Puja mantra)


ॐ मित्राय नम:


ॐ रवये नम:


ॐ सूर्याय नम:


ॐ भानवे नम:


ॐ खगाय नम:


ॐ घृणि सूर्याय नम:


ॐ पूष्णे नम:


ॐ हिरण्यगर्भाय नम:


ॐ मरीचये नम:


ॐ आदित्याय नम:


ॐ सवित्रे नम:


ॐ अर्काय नम:


ॐ भास्कराय नम:


ॐ श्री सवितृ सूर्यनारायणाय नम:



सूर्यदेव मंत्र (Chhath Puja Surya Dev mantra)


आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीदमम् भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते।।


अर्घ्य देते समय सूर्य अर्घ्य मंत्र (Chhath Puja Surya Arghya mantra) 


ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते।
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।
ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।


छठ मैय्या आरती (Chatth Puja Aarti)


जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।


मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।। जय।।


ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदिति होई ना सहाय।


ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।


मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।


ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।। जय।।


अमरुदवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडरराए।


मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।


ऊ जे सुहनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।


शरीफवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।। जय।।


मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।


ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।।


ऊ जे सेववा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।


मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।।जय।।


ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।


सभे फलवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए।।जय।।


मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए।


ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय।।जय।। 


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