Chhath Puja 2021: छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्यास्त के समय सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया जाता है. सनातन धर्म में छठ पूजा बहुत बड़ा पर्व है. इसे संतान प्राप्ति, उन्नति के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. हर वर्ष कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत इस साल आठ नवंबर से हुई है. आज 10 नवंबर को इसका तीसरा दिन है, नहाए खाए के साथ शुरू होने वाला यह महापर्व चार दिन चलता है. इसका समापन सप्तमी को सुबह भगवान सूर्य के दूसरे अर्घ्य के साथ होता है.
आज पहला अर्घ्य डूबते सूरज को
निर्जला व्रत रखकर छठ पूजा करने वाले व्रतियों ने दूसरे दिन खरना पर शाम को गुड़-चावल की खीर का प्रसाद ग्रहण कर लिया है, आज छठ व्रती डूबते सूर्य को गेहूं के आटे और गुड़, शक्कर से बने ठेकुए और चावल से बने भुसबा, गन्ना, नारियल, केला, हल्दी, सेब, फल-फूल के साथ पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे. इस दौरान सभी व्रतधारी शुद्धता और साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखते हैं.
तीसरे दिन का पूजा मुहूर्त
सूर्योदय - सुबह 06:40 बजे
सूर्यास्त - शाम 05:30 बजे
षष्ठी तिथि शुरू - 09 नवंबर, 2021 को सुबह 10:35 बजे
षष्ठी तिथि समाप्त - 10 नवंबर, 2021 को सुबह 08:25 बजे
व्रत का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मैया सूर्य देवता की बहन हैं. इस त्योहार के दौरान लोग सबसे अच्छे कपड़े पहनकर सूर्य देव की पूजा करते हैं. त्योहार के दौरान पूरा परिवार साथ सूर्य देव की पूजा-प्रार्थना करता है. महिलाएं 36 घंटे निर्जला व्रत रखती हैं और संतान की समृद्धि,दीर्घायु की
कामना के लिए सूर्यदेव और छठी मैया की अराधना करती हैं.
छठ पूजा के चारों दिन की पूजा विधि
1. पहला दिन नहाय खाय-कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से व्रत शुरू. इसी दिन व्रती स्नान कर नए कपड़े पहनते हैं.
2. दूसरा दिन खरना-कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना कहते हैं. पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती गुड़ से बनी खीर और रोटी का भोजन करते हैं.
3. तीसरे दिन छठ पूजा बनता है. टोकरी की पूजा कर व्रती अर्घ्य देने तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं. स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं.
4. चौथा दिन, सप्तमी को सूर्योदय पर विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा जाता है.
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