Chhath Puja 2022: छठ का पर्व आने वाला है. हर वर्ष दीपावली के छह दिनों के बाद यह त्योहार मनाया जाता है. इस साल छठ पर्व 30 अक्टूबर 2022 से शुरू होगा. यह तीन दिनों तक चलने वाला पर्व होता है. बिहार, उत्तर प्रदेश और उसके आसपास के क्षेत्रों में छठ पर्व (Chhath Parv) की अलग ही रौनक देखने को मिलती है. यहां दिवाली से भी ज्यादा छठ पर्व की धूम होती है. खासतौर पर बिहार में सबसे ज्यादा मनाए जाने वाले इसे पर्व को अब पूरे देश में लोग मनाते हैं.
छठ का चढ़ावा खास है
इस पर्व में लोग सूर्य देव की उपासना करके छठ माता की पूजा की जाती है. इस पूजा में छठ माता को चढ़ने वाला चढ़ावा बेहद खास होता है. लोग अपनी आस्था और क्षमता के मुताबिक छठ मां को भेट चढ़ाते हैं, लेकिन इसमें कुछ चीजें होती हैं, जिन्हें निश्चित तौर पर छठ माता को चढ़ने वाली डलिया में रखना ही होता है. आज हम आपको बताएंगे कि चढ़ावे की इस डलिया में क्या-क्या चीजें रखना जरूरी है.
इन चीजों के बिना छठ माता की पूजा अधूरी
- छठ पूजा में पीतल का सूप यानी कि सूपा का सबसे ज्यादा महत्व होता है.
- इसके बाद जरूरत होती है बांस से बनी डलिया की, जो डगरा या डल्ला भी कहलाता है.
- पूजा कि डलिया को कई चीजों से भरा जाती है, जिसमें सूतनी, शक्करंकदी, हल्दी की गांठ और अदरक का पौधे रखते हैं.
- चढ़ावे की इस डलिया में हरा नारियल, वह गन्ना जिसमें पत्ते लगे होते हैं भी रखते हैं.
- नाशपाती, नींबू और पपीता आदि कई तरह के फल भी डलिया में रखे जाते हैं.
- डलिया में शहद, पान, सुपारी, लौंग और इलायची रखा जाता है.
- डलिया में सुहाग का सामान जैसे सिंदूर, कुमकुम, आलता, मेहंदी और बिंदी आदि सामान रखा जाता है.
- डलिया में लाल चूड़ी और पीली साड़ी रख कर छठ माता को चढ़ावा चढ़ाया जाता है.
- इसमें चावल के लड्डू, पुआ, ठेकुआ, मुरमुरे और तिल रखना सबसे ज्यादा जरूरी होता है.
- डलिया में एक लोहे और एक तांबे का लोटा होता है, जिसमें जल भरकर व्रती सूर्य भगवान को अर्घ्य देते हैं.
- वहीं, छठ पूजा केले के बिना अधूरी मानी जाती है, डलिया में केले का पूरा गुच्छा रखते हैं.
- छठ माता को चढ़ने वाली डलिया में गुड़ रखा जाता है.
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