Chhath Puja Prasad: महापर्व छठ की शुरुआत आज से हो चुकी. लोक आस्था का पर्व का आज पहला दिन है और यह चार दिन चलेगा. पहले दिन नहाय-खाय, दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन शाम में सूर्य अर्घ्य से चौथे दिन सुबह अर्घ्य पर समापन होता है. छठ पूजा में प्रसाद और अलग-अलग फलों को चढ़ाने की मान्यता है. माना जाता है कि छठी मईया को ये सारे फल बहुत ज्यादा पसंद है. इनका भोग लगाने से मईया सबसे ज्यादा प्रसन्न होगी. आइए जानते हैं इन फलों के बारे में.


ठेकुआ 


छठ पूजा में कई प्रसाद चढ़ाए जाते हैं लेकिन उसमें सबसे मुख्य ठेकुए का प्रसाद होता है. इसे गुड़ और आटे से बनाया जाता है. छठ की पूजा ठेकुआ के बिना अधूरी मानी जाती है. छठ के साथ सर्दी की शुरुआत होने लगती है. ऐसे में सेहत को ठीक रखने के लिए गुड़ बेहद फायदेमंद होता है.


केला


केला छठी मईया को बहुत पसंद है. माना जाता है कि केला भगवान विष्णु का भी प्रिय फल है. इसमें विष्णुजी वास करते हैं. केला शुद्ध फल माना जाता है. छई मईया को प्रसन्न करने के लिए लोग कच्चा केला भी चढ़ाते हैं. पूजा में कच्चे केले को घर लाकर पकाया जाता है ताकि फल झूठा न हो जाएं.


डाभ नींबू


डाभ नींबू सामान्य नींबू से बड़ा होता है. इसका स्वाद खट्टा–मीठा होता है. इसका आकार बहुत बड़ा होता है, जिस कारण पशु-पक्षी खा नहीं पाते हैं. छठी मईया को प्रसाद के रूप में यह नींबू भी चढ़ाना चाहिए.


नारियल


छठ के त्योहार में नारियल चढ़ाने का महत्व है. छठ पर्व में पवित्रता का बहुत महत्व है. नारियल चढ़ाने से घर में लक्ष्मी आती है. कुछ लोग नारियल चढ़ाने की मनौती मांगते हैं. कुछ के डाले में कई नारियल होते हैं.


गन्ना


छठ पूजा में नारियल की तरह गन्ने का भी महत्व है. छठ पूजा में गन्ने से बने गुड़ का इस्तेमाल भी प्रसाद में किया जाता है. कई लोग गन्ने का घर बनाते हैं, उसमें पूजा करते हैं. मान्यता है कि छठी मईया घर में सुख–समृद्धि लाती है. छठी मईया को गन्ना बहुत प्रिय है.


सुथनी


सुथनी मिट्टी से निकलता है, इसलिए इसे शुद्ध माना जाता है. सुथनी का इस्तेमाल छठ पूजा में होता है. इसमें कई औषधीय गुण होते हैं. सुथनी खाने में शकरकंदी की तरह होता है. यह फल बहुत शुद्ध माना जाता है इसलिए छठ पूजा में इस्तेमाल होता है.


सुपारी
हिंदू धर्म की किसी भी पूजा में सुपारी का खास महत्व है.किसी भी पूजा का संकल्प बिना पान सुपारी नहीं होता है. सुपारी पर देवी लक्ष्मी का प्रभाव माना जाता है.


सिंघाड़ा


पानी में रहने के कारण जल सिंघाड़ा सख्त हो जाता है, इसलिए पशु-पक्षी झूठा नहीं कर पाते है. यह लक्ष्मी का प्रिय फल माना जाता है. साथ ही इस फल में बहुत से औषधीय गुण मौजूद होते हैं.


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