Chhath Puja 2022 Surya Arghya Time: छठ में आज उगते सूर्य को अर्घ्य देने पर मिलेगा ये अद्भुत लाभ, जानें सूर्योदय समय
Chhath 2022: छठ महापर्व का आज चौथा और आखिरी दिन है. इस दिन उषाकाल में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. जानते हैं छठ पूजा में सूर्योदय का मुहूर्त और सूरज पूजा के लाभ
Chhath Puja 2022 Surya Arghya Time: चार दिन तक चलने वाले छठ महापर्व का आज आखिरी दिन है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत का पारण करते हैं. छठ पूजा में छठी मईया और सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है. कहते हैं कि उगते सूर्य को अर्घ्य देने पर साधकर के आत्मविश्वास, मान-सम्मान, संतान की आयु में वृद्धि होती है. आइए जानते हैं छठ पूजा में सूर्योदय का मुहूर्त और सूरज पूजा के लाभ
छठ पूजा 2022 उगते सूर्य अर्घ्य मुहूर्त (Chhath Puja 2022 Sun rise Time)
सूर्य की रोजाना पूजा करना बहुत फलदायी होता है लेकिन कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सपत्मी पर सूर्य देवता को जल चढ़ाने से सभी मुरादें पूर्ण होती इसके साथ छठी मईया की भी पूजा की जाती है.
- ऊषाकाल सूर्य मुहूर्त - सुबर 06.36 (31 अक्टूबर 2022)
चौथ दिन का मुहूर्त और योग
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04:53 - सुबह 05:44
- अभिजित मुहूर्त - सुबह 11:48 - सुबह 12:33
- त्रिपुष्कर योग - सुबह 05.48 - सुबह 06.36
कौन हैं छठी मइया?
धर्म ग्रंथों के अनुसार छठी मइया सूर्य देव की बहन और ब्रह्म देव की मानस पुत्री मानी जाती हैं. इन्हें षष्ठी देवी भी कहा जाता है. प्रकृति के छठवें हिस्से से षष्ठी देवी की उत्पत्ति हुई है. कहते हैं जो इनकी आराधना करता है उनकी संतान पर कभी कोई आंच नहीं आती, इसलिए छठ पूजा में संतान की रक्षा, अच्छे स्वास्थ के लिए छठी मईया को पूजा जाता है.
छठ पूजा उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ (Chhath Puja Morning Surya arghya benefit)
- सूर्य देव को सभी देवी-देवताओं में प्रत्यक्ष देवता माना गया है. इनकी किरणों से मनुष्यों के साथ, पशु, जीव, वनस्पतियों को जीवन मिलता है. सूर्य की किरणों में कई तरह के गंभीर रोग खत्म करने की शक्ति होती है.
- कहते हैं कि उदयीमान सूरज को जल चढ़ाते वक्त जो एक टक नजरों से सूर्य को देख लेता है उसकी आंखों से संबंधित परेशानियां खत्म हो जाती है. शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
- सूर्य ग्रहों के राजा कहलाते हैं. छठ पूजा में ब्रह्म मुहूर्त में इनकी आराधना करने से साधक को निडर और निर्भीक होने का वरदान प्राप्त होता है. इसके अलावा कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है.
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