Chhath Puja 2024 Katha: छठ पूजा को लोकआस्था का महापर्व (Mahaparv Chhath) कहा जाता है. इसमें छठी मईया यानी षष्ठी देवी और भगवान भास्कर (Lord Surya) की पूजा होती है. पंचांग (Panchang) के अनुसार छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक चलता है.


छठ दिवाली (Diwali 2024) के 6 दिन बाद मनाई जाती है. इस साल छठ की शुरुआत 5 नवंबर 2024 से होगी, जिसका समापन शुक्रवार 8 नवंबर 2024 को होगा. लेकिन छठ महाव्रत तब तक अधूरा होता है जब तक इससे संबंधित कथा न सुनी या पढ़ी जाए. आइये जानते हैं छठ पूजा की कथा के बारे में-


छठ पूजा की कथा (Chhath Puja 2024 Vrat Katha)


छठ पूजा की पौराणिक कथा (Mythological Story) राजा प्रियव्रत से जुड़ी है. कथा के अनुसार राजा को कोई संतान न होने के कारण वह और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति की कामना के लिए राजा और उसकी पत्नी दोनों महर्षि कश्यप के पास गए. तब महर्षि ने यज्ञ करवाया और राजा की पत्नी गर्भवती हो गई. उसने 9 माह पूरे होने के बाद पुत्र को जन्म दिया. लेकिन वह मरा हुआ पैदा हुआ, जिसके बाद राजा और उसकी पत्नी पहले से अधिक दुखी हो गए.


दुखी होकर राजा प्रियव्रत मरे हुए बेटे के साथ अपने प्राण भी त्यागने के लिए श्मशान में ही आत्महत्या का प्रयास करने लगे. तभी वहां एक देवी प्रकट हुई. देवी ने कहा मैं ब्रह्मा की पुत्री देवसेना हूं और मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई देवी षष्ठी हूं.


अगर तुम मेरी पूजा करोगे और अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी. राजा ने देवी की बात का पालन किया और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि को व्रत रखकर देवी षष्ठी की पूजा की. जिसके बाद राजा को पुत्र की प्राप्ति हुई. ऐसी मान्यता है कि इसके बाद से ही छठ पूजा की शुरुआत हुई.


साल में दो बार होती है छठ पूजा


बता दें कि छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है. कार्तिक मास के साथ ही चैत्र के महीने में भी छठ पूजा होती है, जिसे चैती छठ भी कहते हैं. वहीं कार्तिक मास की छठ पूजा को छठ महापर्व या कार्तिकी छठ के नाम से जाना जाता है. इस पर्व को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं. छठी मईया की पूजा के साथ ही छठ सूर्य (Surya Dev) उपासना का भी अनुपम महापर्व है.


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