पटना: बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पूजा को लेकर तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं. चार दिनों तक चलने वाले आस्था के इस महापर्व में नियमों का काफी ध्यान रखा जाता है. पर्व की शुरुआत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय से होती है.
नहाय-खाय के बाद शुक्ल पक्ष की पंचमी को खरना होता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम में गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाकर सूर्य देव की पूजा करने के बाद इसी प्रसाद के साथ कुछ खाया जाता है. अगले दिन महिलाएं शाम के समय नदी या ताला में खड़ी होती हैं और सूर्य भगवान से पार्थना करती हैं. फिर एक निश्चित समय पर भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया जाता है.
अगले दिन सुबह का अर्घ्य होता है. इस दिन भी महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब में पार्थना के लिए खड़ी होती है. फिर जैसे ही सूर्योदय होता है सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद व्रती कुछ खाकर अपना व्रत तोड़ती हैं. इस प्रकार छठ का त्योहार संपन्न होता है.
छठ पूजा में महत्वपूर्ण दिन
छठ पूजा का नहाय-खाय- 31 अक्टूबर
खरना- 1 नवंबर
छठ पूजा में संध्या का अर्घ्य- 2 नवंबर
छठ पूजा में सुबह का अर्घ्य- 3 नवंबर
शुभ मुहूर्त
पूजा के दिन सूर्योदय का शुभ मुहूर्त- 06:33
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त का शुभ मुहूर्त- 17:35
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