Childrens Day 2022: भगवान गणेश बुद्धि के अधिष्ठदाता है, पंचदेवों में इनका स्थान प्रथम है. मान्यता है कि बिना गणेश की पूजा के कोई भी शुभ कार्य संपन्न नहीं होता. बच्चों को विशेषकर इनकी आराधना करना चाहिए इससे ज्ञान में बढ़ोत्तरी और शिक्षा के क्षेत्र में कोई बाधा नहीं आती. क्या आप जानते हैं कि सभी देवी-देवताओं में गणेश जी को ही क्यों प्रथम पूजनीय देवता माना जाता है? आइए जानते हैं


प्रथम पूजनीय कैसे बने गणपति ?


एक बार मां पार्वती ने गणेश को अपने कक्ष की रक्षा करने का निर्देश दिया. माता की आज्ञा का पालन करते हुए गणेश ने भगवान शिव को भी अंदर प्रवेश नहीं करने दिया. क्रोध में शिव ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. पुत्र की इस पीड़ा देखते हुए उन्होंने संसार को तहस-नहस करने की बात कही. माता को शांत करने के लिए शंकर ने गणेश को हाथी का सिर लगाकर फिर से प्राण डाल दिए और उन्हें प्रथम पूजनीय होने की घोषणा की.


बुद्धि-विवेक से जीती प्रतियोगिता


भगवान शिव ने एक बार प्रतियोगिता आयोजित की और कहा बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥ अर्थात इस प्रतियोगिता में जो सबसे पहले पृथ्वी की के चक्कर लगाकर आएगा वह प्रथम पूजनीय माना जाएगा. सभी देवी-देवता अपने वाहन पर निकल पड़े लेकिन गणपति ने अपनी कौतुक बुद्धि लगाई और ब्रह्मांड की बजाय अपने माता-पिता के चारों ओर चक्कर लगाने लगे.


ऐसा करने पर जब गणेश से पूछा तो वह बोले - चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥ गणेश जी ने कहा कि उनकी दुनिया उनके माता-पिता हैं. शिव ने गणपति की तेज बुद्धि के बल पर उन्हें दौड़ का विजेता घोषित किया. यही कारण है कि भगवान गणेश अपने तेज़ बुद्धिबल के प्रयोग के कारण देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाने लगे.


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