Chhoti Diwali 2024: पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर-जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि रूप चतुर्दशी 31 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा. इस दौरान घरों में अभ्यंग स्नान होगा. सभी लोग सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान और पूजन करेंगे. इस दौरान लोग उबटन लगाकर स्नान करेंगे. स्त्रियों के लिए यह पर्व खास होगा. दरअसल स्त्रियां सज संवरकर पूजन -अर्चन करेंगी. इस दौरान ब्यूटी पार्लर में रौनक रहेगी. सड़कों, घरों, भवनों में दीपावली की जगमग रहेगी. शाम होते ही वातावरण झिलमिलाने लगेगा. दरअसल रूप चतुर्दशी को लेकर मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से लोगों को नर्क की यातनाऐं नहीं भोगनी पड़ती है. इस दिन लोग उबटन से स्नान करते हैं. स्नान के बाद दीपदान होता है. प्रतीकात्मक तौर हल्दी मिले आटे के दिये को पांव लगाया जाता है.
श्रद्धालु महिलाऐं घर आंगन को रगोली के रंगों से संवारती हैं. इस दिन दियों की जगमगाहट से लोगों के घर वृंदनवार रोशन होते हैं. रूप चतुदर्शनी के अलगे दिन कार्तिक अमावस्या पर लक्ष्मी पूजन किया जाता है. ऐसे में यह दीपावली की शुरूआत होती है. रूप चतुर्दशी पर स्नान के दौरान लोग पटाखे चलाकर उत्साह मनाते हैं.
ज्योतिषाचार्य डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि माना जाता है कि महाबली हनुमान का जन्म इसी दिन हुआ था. इसीलिए आज बजरंगबली की भी विशेष पूजा की जाती है. शास्त्रों में कहा गया है कि धन की देवी मां लक्ष्मी जी उसी घर में रहती हैं जहां सुंदरता और पवित्रता होती है. लोग लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए घरों की सफाई और सजावट करते हैं इसका अर्थ ये भी है कि वो नरक यानी के गंदगी का अंत करते हैं. नरक चतुर्दशी के दिन अपने घर की सफाई जरूर करनी चाहिए. घर की सफाई के साथ ही अपने रूप और सौन्दर्य प्राप्ति के लिए भी शरीर पर उबटन लगा कर स्नान करना चाहिए. इस दिन रात को तेल अथवा तिल के तेल के 14 दीपक जलाने की परम्परा है.कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी नरक चौदस, रूप चतुर्दशी अथवा छोटी दीवाली के रूप में मनाई जाती है.
देवी लक्ष्मी धन की प्रतीक हैं. धन का अर्थ केवल पैसा नहीं होता. तन-मन की स्वच्छता और स्वस्थता भी धन का ही कारक हैं. धन और धान्य की देवी लक्ष्मी जी को स्वच्छता अतिप्रिय है. धन के नौ प्रकार बताए गए हैं. प्रकृति, पर्यावरण, गोधन, धातु, तन, मन, आरोग्यता, सुख, शांति समृद्धि भी धन कहे गए हैं..
लंबी उम्र के लिए नरक चतुर्दशी के दिन घर के बाहर यम का दीपक जलाने की परंपरा है. नरक चतुर्दशी की रात जब घर के सभी सदस्य आ जाते हैं तो गृह स्वामी यम के नाम का दीपक जलाता है.
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ.अनीष व्यास ने बताया कि चतुर्दशी तिथि को भगवान विष्णु ने माता अदिति के आभूषण चुराकर ले जाने वाले निशाचर नरकासुर का वध कर 16 हजार कन्याओं को मुक्ति दिलाई थी. परंपरा में इसे शारीरिक सज्जा और अलंकार का दिन भी माना गया है. इसे रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है. इस दिन महिलाएं ब्रह्म मुहूर्त में हल्दी, चंदन, सरसो का तेल मिलाकर उबटन तैयार कर शरीर पर लेप कर उससे स्नान कर अपना रूप निखारेंगी. नरक चतुर्दशी कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. नरक चतुर्दशी को कई और नामों से भी मनाया जाता है जैसे- नरक चौदस, रूप चौदस और रूप चतुर्दशी आदि. दीपावली से पहले मनाए जाने के कारण इसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है. इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा होती है. घर के कोनों में दीपक जलाकर अकाल मृत्यु से मुक्ति की कामना की जाती है.
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ -30 अक्टूबर दोपहर 01:16 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 31 अक्टूबर दोपहर 03:53 बजे तक
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