Coronavirus : क्या है होलाष्टक और कोरोना वायरस का कनेक्शन, कैसे इन 8 दिनों में करें बचाव
उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद में 6 लोगों में कोरोना वायरस के लक्षण मिलने के बाद सनसनी फैल गई है. आज से होलाष्टक भी लग गए हैं. होलाष्टक के दौरान कोरोना वायरस फैलने की आशंका है, जानिए ऐसा क्यों कह रहे हैं और होलाष्टक के दौरान क्या करना चाहिए.
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Coronavirus : कोरोना वायरस का खौफ अब देश में भी दिखाई देने लगा है. वहीं इस समय देश में होलाष्टक भी लग चुका है. मानयता है कि होलाष्टक के दौरान संयमित और अनुशासित जीवन जीने के साथ साथ शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. मान्यताओं के साथ साथ होलाष्टक का अपना वैज्ञानिक महत्व भी है जिसे समझना बहुत ही जरूरी है. होलाष्टक के दौरान आठ ग्रह काफी उग्र हो जाते हैं, जिनका असर व्यक्ति के स्वास्थ्य और मस्तिष्क पर पड़ता है. ऐसे में जब देश में कोरोना वायरस फैलने के आसार हैं तो होलाष्टक के दिनों में और भी सतर्क रहने की जरूरत है.
इन्फेक्शन का बढ़ जाता है खतरा, कोरोना वायरस भी है संक्रामक बीमारी
होलाष्टक के दौरान मौसम तेजी से बदलने लगता है. इस मौसम में सुस्ती आती है और हवाएं तेज चलती है जिस कारण संक्रामण की स्थिति प्रबल हो जाती है. इसी कारण इस मौसम में वायरल इन्फेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए इस मौसम में विशेष संयम और सर्तकता बरतने की सलाह दी जाती है. कोरोना वायरस भी संक्रामक बीमारी है और तेजी से फैलती है तो इस मौसम में खास ध्यान रखने की जरूरत है.
संक्रामक रोगों से बचने के लिए ये उपाय करें
होलाष्टक आठ दिनों तक रहता है. 3 मार्च 2020 से 9 मार्च 2020 तक होलाष्टक रहेगा. इन आठ दिनों में व्यक्ति को किसी भी तरह के संक्रामण से बचने के लिए अनुशासित जीवनशैली को अपनाना चाहिए. इन दिनों में व्यक्ति को बाहर कम निकलना चाहिए और अधिकतर समय एकांत में रहकर भगवान का ध्यान करना चाहिए. घर का वातावरण शुद्ध रखना बहुत ही जरूरी है. संतुलित आहार लें. गरिष्ठ, तेज मसालेदार और तैलीय भोजन से बचें. इस मौसम में मौसमी फलों का अधिक सेवन करना चाहिए. सुपाच्य भोजन करना चाहिए यानि जिसे आसानी से पचाया जा सके. इस मौसम में तरल चीजों का अधिक इस्तेमाल करना चाहिए.
ग्रह कमजोर होने से मस्तिष्क पर पड़ता है असर
ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल तथा पूर्णिमा को राहु उग्र स्वभाव के हो जाते हैं. जिस कारण ये कमजोर पड़ जाते हैं. ये ग्रह निर्बल होने पर मनुष्य की मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करते हैं. जिस कारण मस्तिष्क की निर्णय क्षमता भी कम हो जाती है. जिस कारण हानि होने की संभावना अधिक रहती है. इसीलिए इन दिनों में शुभ कार्य न करने की मान्यता है.
इन राशि के जातकों को सावधान रहना चाहिए
जिन जातकों की जन्म कुंडली में नीच राशि के चंद्रमा, व़ृश्चिक राशि के जातक या चंद्र छठे या आठवें भाव में हैं, उन्हें सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि मनुष्य का दिमाग पूर्णिमा से 8 दिन पहले कहीं न कहीं क्षीण, दुखद, अवसाद, पूर्ण, आशंकित तथा कमजोर हो जाता है. जिसके अपने परिणाम होते हैं. ये अष्ट ग्रह दैनिक कार्यकलापों पर विपरीत असर डालते हैं.
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