दुर्गाष्टमी: लॉकडाउन की स्थिति में घर पर ऐसे करें कन्या पूजन, मिलेगा पूर्ण लाभ
Durgashtami: नवरात्रि की अष्टमी और नवमी को कन्याओं के पूजन की परंपरा है. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के खतरे के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में लोगों के मन में प्रश्न उठ रहा है कि इस पूजा को कैसे पूरा किया जाए.
Navratri 2020: चैत्र शुक्ल अष्टमी पर बुधवार को दुर्गाष्टमी मनाई जाती है. इस दिन महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा के बाद हवन किया जाता है. अष्टमी और नवमी की तिथि पर कुल देवी की भी पूजा करने की परंपरा है. दुर्गाष्टमी और नवमी पर कन्याओं का मां के रुप में पूजन किया जाता है. इस दिन इन्हें भोजन,प्रसाद और उपहार प्रदान किए जाते हैं. लेकिन इस बार सामूहिक रुप से कन्याओं की पूजा संभव नहीं है. ऐसे में कन्याओं का पूजन किस तरह से किया जाए जिससे पूजा का विधान पूर्ण हो सके.
सबसे पहले तो इस प्रश्न को लेकर अधिक चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. इस दिन सामूहिक तौर पर कन्याओं की पूजा नहीं हो सकती है. क्योंकि समूह में संक्रमण का खतरा बना हुआ है. इस स्थिति में बेहतर यही होगा कि इस दिन अपने घर पर ही कन्या का पूजन करें. इस दिन 9 कन्याओं का पूजन करने की मान्यता है. लेकिन लॉकडाउन की स्थिति में ऐसा संभव नहीं है. इसलिए बेहतर यही होगा कि घर की बेटियों की पूजा करें. इससे भी नवरात्रि की पूजा पूर्ण हो जाएगी.
एस्ट्रोलॉजर शिल्पा राना के अनुसार परिस्थितियों को देखते हुए इस पूजन को घर पर करना चाहिए. बेहतर होगा घर की कन्या का ही पूजन करें. घर में जितनी भी कन्या हों उनका विधि पूर्वक, जल, पुष्प और अक्षत से पूजन करें. इसके बाद कन्या को इस दिन बनने वाले व्यंजनों का भोग लगाएं और उपहार प्रदान करें.
भोजन सामग्री का दान करके भी इस दिन का पुण्य अर्जित किया जा सकता है. इस समय लोगों को भोजन की आवश्यकता है. इस दिन भोजन सामग्री को पैक करके जहां पर जरुरतमंद कन्याएं हैं वहां पर उपलब्ध कराना चाहिए. इस भोजन को पूरे भक्तिभाव से प्रदान करें.
अष्टमी और नवमी कब हैं
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन को अष्टमी और नौवें दिन को नवमी कहा जाता है. इस बार अष्टमी 1 अप्रैल को है, जबकि नवमी 2 अप्रैल को मनाई जाएगी. इसी दिन राम नवमी का त्योहार भी है. नवमी की तिथि को भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव मनाते हैं.
नवरात्रि का आठवां दिन: माता महागौरी की पूजा करने से मन होता है शुद्ध, ये है पूजन विधि, मंत्र और कथा