हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय स्थान प्राप्त है. ऐसी मान्यता है कि बड़े से बड़ा कष्ट भी सिर्फ गौ माता की सेवा करने से दूर हो जाता है. गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है. मान्यता है कि गाय की सेवा करने से जहां सभी देवी-देवता प्रसन्न होते हैं, वहीं घर में सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान मिलता है. इतना ही नहीं, गाय की सेवा से कुंडली के सभी दोष दूर हो जाते हैं. अगर आपके जीवन में भी कई परेशानियां हैं, जो गाय संबंधी इन उपायों को करने से आपके कष्ट जल्द दूर हो जाएंगे.
सुख समृद्धि के लिए
धार्मिक मान्यता है कि गाय को खिलाई गई कोई भी चीज सीधे देवी-देवताओं तर पहुंचती है. इसलिए पहली रोटी गाय के लिए निकाली जाती है. गाय के लिए पहली रोटी निकालने से जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है.
बुध ग्रह के दुष्प्रभावों के नाश के लिए
कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होने पर या किसी और कारण से उसके दुष्प्रभाव झेलने पर बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाने की सलाह दी जाती है. इसे बहुत ही शुभ माना जाता है. ऐसा करने से तमाम समस्याएं दूर हो जाती हैं.
शनि संबन्धी समस्याओं के लिए
शनि से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या के लिए काले रंग की गाय की सेवा करने की सलाह दी जाती है. वहीं, अगर संभव हो तो किसी ब्राह्मण को काले रंग की गाय दान करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं.
मंगल से जुड़ी समस्याओं के लिए
कुंडली में मंगल दोष होने पर व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में लाल रंग की गाय की सेवा करें. मंगलवार के दिन गाय का पूजन करें और उसे गुड़ चना खिलाएं.
गुरु से जुड़ी परेशानी के लिए
बृहस्पति ग्रह आपके पक्ष में न हो तो विवाह में देरी होती है. शिक्षा व्यवधान आता है. साथ ही कई परेशानियां घेर लेती हैं. ऐसे में बृहस्पतिवार के दिन गाय को हल्दी से तिलक करें और आटे की लोई में गुड़ चने की दाल और चुटकी भर हल्दी डालकर खिलाएं.
पितृ दोष से मुक्ति के लिए
अगर किसी जातक की कुंडली में पितृ दोष है तो अमावस्या के दिन गाय को रोटी, गुड़, हरा चारा खिलाएं. वहीं, अगर रोजाना गाय की सेवा कर सकते हैं, तो बेहतर है. इससे पितृ दोष शांत होने के साथ अन्य ग्रह भी शांत होते हैं.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
शीतला अष्टमी या बसौड़ा के दिन मां की पूजा के बाद जरूर करें ये कार्य, जल्द स्वीकार होगी पूजा
चैत्र माह में कब है पूर्णिमा? जाने शुभ मुहूर्त, व्रत पूजा विधि और महत्व