शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सूर्यदेव को अर्घ्य दें, जाने इसका महत्व
मकर संक्रांति के पुण्य स्नान के साथ सूर्यदेव शनिदेव की राशि में संचार करना आरंभ कर देते हैं. सूर्यदेव की यात्रा मीन संक्रांति तक रहती है. इस बार सूर्यदेव 14 मार्च को सुबह लगभग 6 बजकर मिनट पर मीन राशि से प्रवेश करेंगे. इससे पूर्व वे मकर और कुंभ राशि में रहेंगे. ऐसे में सूर्य को अर्घ्य देने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. कृपा बरसाते हैं.
शनिदेव सूर्यपुत्र हैं. उन्हें सूर्य और छाया की संतान माना जाता है. उत्तरायण होने के साथ सूर्य शनि की राशियों में गति करते हैं. शनि की लगातार दो राशियां मकर और कुंभ होने से वे उनमें बने रहेंगे. 14 मार्च 2021 की सुबह लगभग 6 बजकर 20 मिनट तक सूर्य कुंभ में रहेंगे. इसके बाद मीन में प्रवेश कर जाएंगे. इससे पूर्व सूर्यदेव 12 फरवरी को रात्रि लगभग 9 बजकर 11 मिनट पर मकर से कुंभ में प्रवेश लेंगे. इसे कुंभ संक्रांति कहा जाता है.
इन दो माहों में स्नान दान और सूर्य को अर्घ्य देने का बड़ा महत्व है. 2021 में हरिद्वार में आयोजित होने वाला कंभ स्नान भी सूर्य के उक्त गोचर में ही पूर्ण होना है. इसमें दूर देश से लोग गंगा में स्नान कर सूर्य को अर्घ्य देंगे. इससे उनके पुण्य बढ़ने के साथ उन्हें शनिदेव की विशेष कृपा प्राप्त होगी. इन दिनों शनि स्वयं अपनी मूलत्रिकोण राशि मकर में बलवान स्थिति में हैं. इससे सूर्य के अर्घ्य का महत्व और बढ़ जाता है.
सामान्यतः शनि को सूर्य का विरोधी माना जाता है. इन दोनों में महीनों में स्थिति एकदम उलट होती है. सूर्य की प्रार्थना आराधना से शनिदेव की प्रसन्नता बढ़ती है. सूर्य को जल देने का सबसे श्रेष्ठ समय सूर्याेदय की पहली घटी यानि 24 मिनट का होता है. इसके बाद ढाई घटी यानि एक घंटे का समय महत्वपूर्ण माना गया है. संतजन एवं तपस्वी इसी समय सूर्य को स्नान कर अर्घ्य देते हैं.