Daan vidhi and Rules: सनातन धर्म में दान का खास महत्व है. शास्त्रों में दान को मानव जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है. मान्यता है कि जो व्यक्ति दान कर्म करता है उसे वर्तमान के साथ अगले जन्म में पुण्य फल की प्राप्ती होती है. मनुष्य अपने सामर्थ अनुसार दान करता है लेकिन शास्त्रों में दान के भी कुछ नियम बताए गए हैं. अगर इनका पालन किया जाए तो लाभ का फल दो गुना हो जाता है. आइए जानते हैं दान के नियम


दान के नियम:


1- जरुरतमंदों को दान


शास्त्रों के अनुसार दान उन्हीं को दें जो इसके योग्य हो. जरुरतमंद या गरीब की मदद करना और उनको दान देना कल्याकारी होता है. दान कभी द्वेश की भावना में न करें. दुखी मन से किए दान का लाभ नहीं मिलता. खुशी से दान करने पर समृद्धि में वृद्धि होती है.


2- धन का दसवां हिस्सा


शास्त्र के अनुसार व्यक्ति जो धन अर्जित करता है उसका दसवां हिस्सा दान के लिए निकालना चाहिए. इससे घर में बरकत बनी रहती हैं. ध्यान रखें मेहनत से कमाए धन को ही दान कर्म में लगाएं. गलत तरीके से कमाई के पैसों को दान में लगाने से उसका फल नहीं मिलता.


3- हाथ में देकर करें दान


शास्त्रों में तिल, कुश, जल और चावल का दान हाथ में देकर करना चाहिए. अन्यथा उस दान पर भव्य दानव अधिकार जमा लेते हैं. सोना, चांदी, गाय, जमीन, तिल, घी, वस्त्र, नमक आदि महादान की श्रेणी में आते हैं.


4- निस्वार्थ भावना से दान


दान हमेशा दूरसों की अपेक्षा खुद जाकर करना उत्म माना जाता है. स्वार्थ की भावना से दान कभी न करें. ऐसा करने से पुण्य प्राप्त नहीं होगा. साथ ही किसी की दी हुई अमानत का दान न करें. गुप्त दान हमेशा अच्छा माना जाता है.


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