Dadi-Nani Ki Baatein: दही-चीनी खाकर घर से जाओ, क्यों कहती है दादी-नानी
Dadi-Nani Ki Baatein: दही-चीनी खाकर घर से निकलना हिंदू संस्कृति की परंपरागत प्रथा है. आज भी कई लोग इसका पालन करते हैं. दादी-नानी भी अक्सर शुभ काम में जाने से पहले दही-चीनी खासकर जाने की बात कहती है.
Dadi-Nani Ki Baatein: सनातन धर्म में कई नियम और रीति-रिवाज हैं, जिनका पालन सदियों से किया जा रहा है. घर के बड़े बुजुर्गों जैसे दादी-नानी की वजह से आज भी ये परंपराएं जीवंत हैं. दादी-नानी कई चीजों के बारे में बताती हैं तो वहीं कुछ चीजों पर रोका टोकी भी करती हैं.
जब भी आप किसी शुभ या जरूरी काम के लिए घर से बाहर जाते हैं तो दादी-नानी अक्सर दही-चीनी (Dahi Chini) खाकर घर से निकलने की बात कहती है. कुछ लोग इसका पालन करते हैं तो कुछ नहीं भी करते. लेकिन दही-चीनी खाकर घर से निकलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ज्यादातर लोग इसके पीछे का कारण नहीं जानते हैं. आइये जानते हैं आखिर क्यों दही-चीनी खाने को दादी-नानी मानती हैं इतना शुभ. क्या है इसके पीछे का धार्मिक महत्व और वैज्ञानिक आधार.
पांच अमृत तत्वों में एक है दही
हिंदू धर्म में दही को पांच अमृत तत्वों में एक बताया गया है, जिस कारण धार्मिक रूप से इसका महत्व काफी बढ़ जाता है. पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान आदि में दही का प्रयोग होता है. दही से पंचामृत बनाया जाता है, शिवजी (Lord Shiva) का अभिषेक दही से किया जाता है आदि.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि दही का रंग सफेद होने के कारण इसका संबंध चंद्र ग्रह से होता है और जब इसे चीनी के साथ खाया जाता है तो इससे चंद्र ग्रह से शुभ फल की प्राप्ति होती है. चंद्रमा की शुभता से भाग्य मजबूत होता है और मस्तिष्क भी शात रहता है. इसलिए दादी-नानी दही-चीनी साथ में खाने को शुभ मानती हैं.
धार्मिक मान्यता है क्या है वैज्ञानिक आधार
दही को सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. क्योंकि इसमें प्रोटीन, कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन बी6 और बी12 आदि जैसे पोषक तत्व होते हैं. इसलिए दही को भोजन में किसी न किसी रूप में शामिल किया जाता है.
ऐसे में जब घर से बाहर जाने से पहले आप दही-चीनी का सेवन करते हैं तो इससे शरीर को ऊर्जा मिलती है, क्योंकि दही के साथ जब चीनी मिलता है तो यह ग्लूकोज का काम करता है. जिससे शरीर में एनर्जी बनी रहती है और साथ ही अपच आदि की समस्या भी नहीं होती. यानी दादी नानी की सलाह मान्यताओं और परंपराओं के साथ ही सेहत से भी जुड़ी होती है.
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