Dadi-Nani Ki Baatein: हिंदू धर्म से कई परंपराएं, मान्यताएं और नियम जुड़े हैं, जिनका सदियों से पालन किया जा रहा है. आज भी लोग इन परंपरा और मान्यता का पालन करते हैं. लेकिन आधुनिक दौर में कुछ लोग परंपराओं और मान्यताओं को रूढ़िवाद बताते हैं. जबकि हिंदू धर्म की कई मान्यताओं और परंपराओं के वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं. इन्हीं में एक है व्रत रखना.


घर के बड़े-बुजुर्ग या दादी-नानी अक्सर पूजा-पाठ करने या व्रतादि रखने पर जोर देती हैं. व्रत रखना या पूजा-पाठ से केवल धार्मिक महत्व से नहीं जुड़ा होता, बल्कि व्रत रखने के कई शारीरिक लाभ भी हैं. दादी-नानी के साथ ही विज्ञान भी इस बात को मानता है.


आपको दादी-नानी की ये बातें अटपटी या मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्र और विज्ञान में भी इसके कारण और इससे होने वाले लाभ के बारे में बताया गया है. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करेंगे तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे. आइए जानते हैं आखिर क्यों रखना चाहिए व्रत और व्रत रखने के पीछे की मान्यता का क्या है धार्मिक और वैज्ञानिक कारण.


व्रत रखने का धार्मिक दृष्टिकोण


ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि हिंदू धर्म में पूरे साल कई पर्व त्योहार होते हैं, जिसमें व्रत रखने का विधान है. पर्व-त्योहार के साथ ही लोग साप्ताहिक व्रत जैसे गुरुवार, मंगलवार आदि को व्रत रखते हैं. केवल हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि मुसलमानों में रमजान आदि जैसे मौकों पर व्रत रखने की परंपरा है. अन्य धर्मों में भी विशेष तिथियों पर व्रत रखे जाते हैं. धार्मिक दृष्टिकोण से व्रत रखने से शरीर और मन की शुद्धि होती है, देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और आप जिस उद्देश्य से व्रत रखते हैं, वह भी पूरा होता है.


हफ्ते में एक व्रत क्यों जरूरी


स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार, आप अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार हफ्ते, महीने या फिर कभी-कभार व्रत रख सकते हैं. लेकिन अगर आप पूरी तरह से स्वस्थ हैं तो हफ्ते में एक व्रत जरूर रखें. हफ्ते में एक दिन व्रत रखना शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है. दरअसल उपवास के दौरान जब हम कुछ खाते-पीते नहीं तो इससे शरीर का विशाक्त बाहर निकलता है, जोकि वजन को सामान्य रखने, चयापचय और पुराने रोगों के विकास के जोखिम को कम करता है. इसलिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ से लेकर दादी-नानी हमें हफ्ते में एक दिन व्रत रखने की सलाह देते हैं.


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