Dadi-Nani Ki Baatein: आज गुरुवार है नहीं खाना खिचड़ी, क्यों कहती है दादी-नानी
Dadi-Nani Ki Baatein: हिंदू धर्म में गुरुवार के दिन से जुड़े कई नियम हैं. दादी-नानी कहती हैं कि गुरुवार के दिन खिचड़ी खाना-पकाना नहीं चाहिए. आइये जानते हैं आखिर क्या है इसका कारण.
Dadi-Nani Ki Baatein: सनातन धर्म में गुरुवार को बहुत ही शुभ दिन माना जाता है. यह दिन भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है. कई लोग गुरुवार के दिन व्रत भी रखते हैं. शास्त्रों में गुरुवार के दिन से जुड़े कई नियम बताए गए हैं, जिनका आज भी पालन किया जाता है.
गुरुवार के दिन सिर धोना, बाल-दाढ़ी और नाखून कटवाना, कपड़े धोना, घर पर पोंछा लगाना, जाले साफ करना, मांसाहार भोजन करना आदि जैसे काम वर्जित माने गए हैं. साथ ही इस दिन खिचड़ी न खाने की भी मान्यता है. इसलिए गुरुवार के दिन घर के बड़े-बुजुर्ग या दादी-नानी खिचड़ी खाने से मना करती हैं.
दादी-नानी की ये बातें आपको कुछ समय के लिए अटपटी या फिर मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्रों में इसका कारण और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया है. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करेंगे तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे. आइए जानते हैं आखिर क्यों दादी-नानी गुरुवार के दिन खिचड़ी खाने से करती हैं मना.
गुरुवार को क्यों नहीं खानी चाहिए खिचड़ी
गुरुवार के दिन खानपान को लेकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए. गुरुवार के दिन वर्जित चीजों में एक है खिचड़ी. ऐसा इसलिए क्योंकि कई लोग खिचड़ी में काली दाल डालकर पकाते हैं, जोकि शुभ नहीं होता. वहीं पीली दाल वाली खिचड़ी को गुरुवार को दिन खाने से कुंडली में गुरु ग्रह कमजोर होत हैं. गुरु के कमजोर होने पर आर्थिक स्थिति भी कमजोर होती है और सुख-शांति में कमी आने लगती है.
खिचड़ी के साथ ही गुरुवार को केला खाने की भी मनाही होती है. क्योंकि केला भगवान विष्णु को पूजा में चढ़ाया जाता है. हालांकि इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार तो नहीं है. लेकिन हिंदू धर्म ये मान्यताएं आज भी प्रचलित हैं.
ये भी पढ़ें: Dadi-Nani Ki Baatein: हफ्ते में जरूर रखना चाहिए कम से कम एक व्रत, क्यों कहती है दादी-नानी
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.