Dadi-Nani Ki Baatein: हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. यह तिथि पितरों से संबंधित मानी जाती है. इस तिथि पर पितरों के निमित्त स्नान, दान, तर्पण आदि करने का विधान है. आज 30 दिसंबर साल 2024 को साल की आखिरी अमावस्या भी है. इसे पौष अमावस्या या सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के नाम से जाना जाता है.
पंचांग के अनुसार हर महीने दो पक्ष कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष होते हैं. कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या और शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर नकारात्मक ऊर्जाएं अधिक सक्रिय रहती हैं. इसलिए इस दिन कई कार्य वर्जित माने जाते हैं, जिनमें महिलाओं का बाल खुले रखना भी एक है. यही कारण है कि दादी-नानी अमावस्या के दिन बाल खुले होने पर टोकती हैं.
दादी-नानी की ये बातें आपको अटपटी या मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्रो और हिंदू धर्म में भी इसके कारण और महत्व बताए गए हैं. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करते तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे. आइये जानते हैं आखिर क्यों अमावस्या पर महिलाओं नहीं खोलने चाहिए. इस मान्यता है के पीछे क्या है कारण.
अमावस्या पर क्यों नहीं रखते खुले बाल
- अमावस्या तिथि को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय हो जाती हैं. बाल खुले रखने पर नकारात्मक ऊर्जा महिलाओं पर जल्दी आकर्षित हो सकती है. इसलिए इस दिन बाल खुले होने पर दादी-नानी मना करती है. क्योंकि उन्हें किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े.
- ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि अमावस्या तिथि पर कई तरह की तंत्र क्रियाएं होती हैं, जिसमें बालों का भी उपयोग किया जाता है. बालों के जरिए ही मारण, मोहन, उच्चाटन और सम्मोहन क्रियाओं को किया जाता है.
- इसके अलावा हिंदू धर्म में खुले बाल रखने को अशुभ माना जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार महाभारत के समय हस्तिनापुर में वस्त्रहरण के बाद द्रोपदी ने प्रतिज्ञा ली थी कि जब तक इन बालों पर दु:शासन का लहु नहीं लगेगा वह अपने बालों का खुला रखेगी. इसलिए महिला के खुले बाल अशुभ माने जाते हैं.
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