Dadi-Nani Ki Baatein: स्त्रियों को जरूर पहननी चाहिए कांच की चूड़ियां, क्यों कहती है दादी-नानी
Dadi-Nani Ki Baatein: महिलाएं कांच की चूड़ियां पहनती हैं. खासकर सुहागिन महिलाओं के हाथों में चूड़ियां जरूर होनी चाहिए, ऐसा दादी-नानी कहती हैं. जानें चूड़ियों को लेकर क्या कहता है शास्त्र और विज्ञान.
Dadi-Nani Ki Baatein: हिंदू धर्म से कई परंपराएं और मान्यताएं जुड़ी हैं. इनमें कई परंपराएं तो ऐसी हैं, जिसका पालन आज भी किया जाता है. दादी-नानी हमेशा ही इन परंपराओं और मान्यताओं को मानती है और दूसरों को भी फॉलो करने को कहती हैं. क्योंकि दादी-नानी इन परंपराओं के पीछे छिपे लाभ और महत्व के बारे में जानती हैं. शास्त्रों और हिंदू परंपराओं के वैज्ञानिक कारण भी बताए गए हैं.
कई मान्यताओं में एक है चूड़ी पहनना. चूड़ी को हिंदू धर्म के सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) में एक माना जाता है. चूड़ियां ना सिर्फ आपके श्रृंगार में चार-चांद लगाती हैं, बल्कि इसके अन्य कई लाभ भी हैं. खासकर सुहागिन स्त्रियों को अपने हाथ खाली नहीं रखने चाहिए. ऐसा करना अशुभ माना जाता है. क्योंकि कांच की चूड़ियों को विवाहित महिलाओं का विशेष श्रृंगार माना जाता है, जोकि सिंदूर और मंगलसूत्र की तरह की खास महत्व रखती है.
यही कारण है कि दादी-नानी अगर हाथ खाली देख ले तो तुंरत टोककर चूड़ियां पहनने को कहती हैं. दादी-नानी की ये बातें आपको अटपटी या मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्र और विज्ञान में भी इसके कारण और महत्व बताए गए हैं. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करते तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे. आइये जानते हैं आखिर क्यों हाथों में पहननी चाहिए चूड़ियां. इस मान्यता है पीछे क्या है शास्त्रीय और वैज्ञानिक कारण.
क्या कहता है शास्त्र
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, विवाहित स्त्रियां जब कांच की चूड़ियां पहनती हैं तो इससे सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है. मान्यता अनुसार सुहागिन महिला के चूड़ी पहनने को सुहाग की निशानी माना गया है. ज्योतिष में विभिन्न रंगों की चूड़ियों के महत्व के बारे में भी बताया गया है. इसलिए चूड़ियां पहनना कई रूपों में लाभदायक होता है.
क्या कहता है विज्ञान
कांच की चूड़ियां पहनने से लगातार फ्रिक्शन यानि घर्षण होता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन लेवल बढ़ता है. साथ ही शरीर से निकले वाली पॉजिटिव एनर्जी बैंगल्स के रिंग शेप के कारण वापस बॉडी में चली जाती है. जैसे हम घंटी बजाते हैं तो ईको साउंड सुनाई देती है. जो शरीर हीलिंग सेंटर को एक्टिवेट करता है. इससे हमारे दिमाग से निगेटिविटी बाहर निकल जाती है.
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