Dadi-Nani Ki Baatein: दैनिक दिनचर्या में हम कई तरह के काम करते हैं, जिसमें आटा गूंथना भी एक है. खासकर महिलाओं को प्रतिदिन यह काम करना पड़ता है. हमारे शास्त्रों में हर कार्य के लिए नियम बताए गए हैं, क्योंकि इन कार्यों का असर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जीवन पर पड़ता है.


खासकर रसोई घर में काम करते समय या भोजन पकाते समय इन नियमों का पालन जरूर करना चाहिए. क्योंकि हिंदू धर्म में भोजन को प्रसाद स्वरूप माना गया है. इसलिए बड़े-बुजुर्ग रसोई घर और भोजन पकाने को लेकर कई नियम बताते हैं, जिसमें आटे गूंथना भी एक है.


दादी-नानी अक्सर आटा गूंथने के बाद उसमें उंगलियों के निशान लगाने को कहती हैं. वो खुद भी अगर ये काम करती हैं तो आटे में तीन उंगलियों के निशान जरूर बनाती है. क्या आप जानते हैं आखिर दादी-नानी ऐसा क्यों कहती है.


आपको दादी-नानी की ये बातें अटपटी या मिथक लग सकती है. लेकिन शास्त्रों में इसका कारण बताया गया है. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करेंगे तो भविष्य में होनी वाली अनहोनी या अशुभ घटना से बच सकते हैं. दादी-नानी की इन बातों में परिवार की भलाई छिपी होती है.


आटा गूंथने के बाद क्यों बनाते हैं उंगली के निशान



  • पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया जाता है, जिसमें चावल के आटे से बने गोलाकार 'पिंड' का प्रयोग होता है. आटा गूंथने के बाद भी पिंड के समान गोल होता है. इसलिए आटे के गोले को पितरों का भोजन माना जाता है.

  • आटे के गोले से रोटी बनाना शुभ नहीं होता. इसलिए आटा गूंथने के बाद दादी-नानी आटे में उंगलियों के निशान बनाने को कहती है, जिससे आटे की रोटी परिवार के लोगों के खाने योग्य हो जाए.

  • आटे के अलावा गोल बनने वाले कई पकवानों जैसे बाटी, बाफले, बालूशाली, वड़ा आदि में भी उंगलियों निशान लगाकर गड्ढे बनाए जाते हैं, जिससे कि ये पिंड के गोले से अलग बन जाए.  


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