Dadi-Nani Ki Baatein: शास्त्रों में सोलह श्रृंगार (Solah Shringar) के बारे में बताया गया है, जिसमें सिंदूर को सबसे अहम श्रृंगार माना जाता है. कहा जाता है कि सुहागन स्त्री की मांग में सजा सिंदूर उसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देता है. विवाहित महिलाओं के लिए सिंदूर उसके विवाहित होने की निशानी है. साथ ही यह जीवनसाथी के प्रति सम्मान, प्रेम और समर्पण को भी दर्शाता है.
शास्त्रों में सिंदूर से जुड़े कई नियम बताए गए हैं. भारतीय संस्कृति में भी सिंदूर लगाने से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. इन्हीं में एक है कि सूर्यास्त के बाद महिलाओं को मांग में सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. आपने देखा होगा कि शाम या रात में जब आप सिंदूर लगाते हैं तो दादी-नानी टोककर कहती हैं कि सूर्यास्त के बाद सिंदूर नहीं लगाना चाहिए. आइए जानते हैं क्या सच में शास्त्रों में सूर्यास्त के बाद सिंदूर लगाने की मनाही है और हां तो इसके पीछे क्या कारण है.
सूर्यास्त के बाद क्यों नहीं लगाना चाहिए सिंदूर
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, सूर्य ग्रह को सबसे शक्तिशाली ग्रह माना जाता है और इन्हें ग्रहों का राजा कहा जाता है. सूर्य सुख,ऊर्जा, समृद्धि का प्रतीक है. सूर्य दिन के समय को नियंत्रित करता है और सकारात्मकता से जुड़ा होता है. इसलिए हिंदू धर्म में सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की अवधि को सबसे अधिक शुभ माना जाता है.
वहीं सूर्यास्त को बाद चंद्रमा का समय शुरू होता है, जोकि रात्रि के समय को नियंत्रित करता है. चंद्रमा स्त्रीत्व से जुड़ा होता है. सूर्यास्त के बाद सूर्य का प्रभाव कम होता है और चंद्रमा का प्रभाव बढ़ जाता है. इसलिए ऐसे कई धार्मिक अनुष्ठान हैं, जिन्हें सूर्यास्त से पहले ही करने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष भी सलाह देते हैं कि सूर्यास्त के बाद सिंदूर लगाने से उसका शुभ फल नहीं मिलता है.
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