Dadi-Nani Ki Baatein: हिंदू धर्म में जिस तरह पीपल और तुलसी को पवित्र माना जाता है और इनका विशेष धार्मिक महत्व होता है. उसी तरह दादी नानी की भूमिका भी पीपल और तुलसी की तरह ही होती है. पीपल और तुलसी का अर्थ यह है कि जिस तरह पीपल का विशाल वृक्ष फल नहीं देता लेकिन छाया जरूर देता है और तुलसी का छोटा सा पौधा फूल-फल नहीं देता लेकिन इसमें कई औषधीय गुण होते हैं.
हमारे जीवन में दादी-नानी की भी ऐसी ही भूमिका होती है. इनके सलाह और रोक-टोक हमें भविष्य और वर्तमान में होने वाली परेशानियों से बचाते हैं. बात करें माहवारी की तो, भारतीय समाज में पीडियड (Menstruation) को लेकर एक नहीं बल्कि कई तरह की बातें होती हैं. आज के आधुनिक युग में कुछ बातें आपको मिथक भी लग सकती है, लेकिन पीरियड के दौरान वर्जित चीजों का संबंध शास्त्र और विज्ञान से जुड़ा होता है.
माहवारी के दिनों में महिलाओं को अचार छूने, पूजा-पाठ करने, देवी-देवताओं की मूर्ति छूना, पेड़-पौधों में पानी देने जैसे कई सारे कार्य वर्जित होते हैं. इन्हीं वर्जित कार्यों में एक होता है बाल धोना. बाल धोना या स्नान करना आपका निजी फैसला हो सकता है. लेकिन दादी-नानी पीरियड के शुरुआती तीन दिनों तक बाल धोने के लिए मना करती हैं. अगर आप दादी-नानी की ये बात मान लेंगी तो भविष्य में होने वाले सेहत संबंधी परेशानियों से बच सकती हैं.
क्या कहता है शास्त्र
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास बताते हैं कि, महिलाओं को माहवारी के दौरान धार्मिक कार्य करना वर्जित होता है. ऐसे में जब तक शरीर पूरी तरह से शुद्ध नहीं हो जाता, तब तक मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए और ना ही पूजा पाठ करना चाहिए. इसलिए जब पीरियड खत्म हो जाए तो महिलाएं बाल धोकर स्नान जरूर करे. वहीं पीरियड खत्म होने के बाद जो महिलाएं बाल नहीं धोती, उनका शरीर शुद्ध नहीं माना जाता है.
पीरियड के शुरुआती दिनों में बाल न धोने की सलाह इसलिए भी दी जाती है, क्योंकि इस दौरान महिलाओं के शरीर का तापमान गर्म रहता है और ऐसे में बाल धोने पर शरीर का तापमान तेजी से ठंडा होता है. शरीर के तापमान तेजी से बदलाव न हो इसलिए भी इस समय सिर धोने की मनाही होती है.
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