Dadi-Nani Ki Baatein: शाम हो गई दहलीज पर मत बैठो, क्यों कहती है दादी-नानी
Dadi-Nani Ki Baatein: दादी-नानी अक्सर यह कहती है कि शाम होने के बाद घर की दहलीज पर नहीं बैठना चाहिए. क्या आप जानते हैं कि आखिर दादी-नानी ऐसा क्यों कहती है और धार्मिक दृष्टिकोण से इसका क्या कारण है.
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Dadi-Nani Ki Baatein: जीवन में भागदौड़ तो लगी ही रहती है, लेकिन फुर्सत निकालकर दादी-नानी के पास जरूर बैठा करें. क्योंकि बुजुर्गों ने अपने जीवन में कई-उतार चढ़ाव देखें हैं और अनुभव का ज्ञान प्राप्त किया है. इसलिए कहा जाता है कि बुजुर्गों के पास ज्ञान का अथाह भंडार होता है.
दादी-नानी की कहानियां और दादी-नानी के घरेलू नुस्खे के बारे में तो सभी लोग जानते हैं. लेकिन दादी-नानी के पास ज्ञान से जुड़ी भी कई बाते होती हैं, जो हम सुनते तो हमेशा ही हैं लेकिन उसपर शायद ही कभी गौर करते हैं.
दादी-नानी की रोक-टोक भले ही कुछ समय के लिए आपको अटपटी लगे, लेकिन इसके पीछे धार्मिक महत्व जुड़े होते हैं, जिसका असर घर की सुख-समृद्धि पर पड़ता है. आपने देखा होगा कि कई बार शाम होने के बाद जब आप दहलीज पर खड़े या बैठे होंगे तो दादी-नानी ने टोककर आपसे कहा होगा कि शाम होने के बाद दहलीज पर नहीं बैठना चाहिए. आइये धार्मिक दृष्टिकोण से जानते हैं कि आखिर दादी-नानी ऐसा क्यों कहती है.
सूर्यास्त के बाद दहलीज पर क्यों नहीं बैठना चाहिए
हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार का संबंध मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) से होता है. मान्यता है कि शाम के समय मां लक्ष्मी का आगमन घर पर होता है. ऐसे में यदि दहलीज पर कोई व्यक्ति खड़ा होगा या बैठा रहेगा तो लक्ष्मी जी दहलीज से वापिस लौट जाएंगी. यही कारण है कि संध्या के समय दादी-नानी दहलीज पर बैठने से मना करती हैं.
इसलिए इस बात का खास ध्यान रखें कि संध्या के समय चौखट पर न बैठें और ना ही यहां जूते चप्पल रखें. ऐसा करने से घर पर दरिद्रता आती है. शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर दीप जलाएं और संभव हो तो शाम के समय मुख्य द्वार का दरवाजा खुला रखें.
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