Dadi-Nani Ki Baatein: हमारे जीवन में दादी-नानी की अहम भूमिका होती है. इनके सलाह और रोक-टोक हमें भविष्य और वर्तमान में होने वाली परेशानियों से बचाते हैं. बात  करें माहवारी की तो, भारतीय समाज में पीरियड (Menstruation) को लेकर एक नहीं बल्कि कई तरह की बातें आज भी होती हैं. आज के मॉर्डन लाइफ में भले ही कुछ बातें आपको मिथक भी लग सकती है, लेकिन पीरियड के दौरान वर्जित चीजों का पालन आज भी किया जाता है.


पीरियड के समय अचार, पापड़ जैसी चीजों को छूने के लिए मना किया जाता है. हालांकि पहली बार जब किसी लड़की को पीरियड होता है तो इन चीजों के बारे में पता नहीं होता. लेकिन बचपन में उस दौर को याद कीजिए जब दादी-नानी माहवारी के समय अचार या पापड़ जैसी चीजों को छूने से मना किया करती थीं.


दादी-नानी का मानना था कि, ऐसी अवस्था में यदि अचार छूआ जाए तो इससे अचार जल्दी खराब हो जाते हैं या फिर सड़ जाते हैं. केवल अचार ही नहीं बल्कि पीरियड के दौरान ऐसी कई मान्यताएं हैं जो आज भी सुनने को मिलती है. जैसे अचार न छूना, बाल नहीं धोना, परिवार के साथ नहीं सोना, मंदिर न जाना, पौधों में पानी न देना, भोजन नहीं पकाना आदि.


कई चीजों का तो वैज्ञानिक कारण भी बताया गया है. लेकिन माहवारी के समय अचार न छूने की मान्यता के पीछे क्या कारण है और क्यों दादी-नानी इस समय अचार छूने को मना करती हैं, आइये जानते हैं इसके बारे में.


पीरियर के दौरान अचार छूना (Touching Pickle In Periods)


पहले के समय में पीरियड के दौरान महिलाओं को अचार छूने की अनुमति नहीं थी. इस दौरान महिलाओं का रसोई में प्रवेश करना भी वर्जित माना जाता था. क्योंकि ऐसा माना जाता था कि पीरियड के समय महिला अशुद्ध हो जाती है. इस मान्यता के पीछे का एक कारण यह भी था कि, भोजन को प्रसाद और रसोई को पूजाघर के समान पवित्र माना जाता है. इसलिए पुराने समय में पीरियड में अचार छूने या रसोई में प्रवेश करने की मनाही होती थी. आज भी कई घरों में इन मान्यताओं का पालन किया जाता है. हालांकि पीरियड के दौरान अचार छूने या न छूने का कोई वैज्ञानिक कारण नहीं मिलता है.


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