Dattatreya Jayanti 2022 Date: मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है. भगवान दत्तात्रेय भगवान विष्णु के अंश माने जाते हैं. इस साल दत्तात्रेय जयंती 7 दिसंबर 2022 बुधवार मनाई जाएगी. भगवान दत्तात्रेय एक समधर्मी देवता है और उन्हें त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का अवतार माना जाता है. मान्यता है भगवान दत्तात्रेय के निमित्त व्रत करने और दर्शन-पूजन करने से मनुष्य की सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. आइए जानते हैं भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी कुछ खास बातें.
भगवान दत्तात्रेय से जुड़ी खास बातें (Lord Dattatreya Facts)
- श्रीमद्भागवत के अनुसार भगवान दत्तात्रेय का जन्म महर्षि अत्रि और माता अनुसूया के यहां हुआ था. दत्तात्रेय में तीनों देवों के रूप एवं गुरु दोनों ही समाहित हैं जिस कारण इन्हें श्री गुरुदेवदत्त और परब्रह्ममूर्ति सद्घुरु भी कहा जाता है. दत्तात्रेय के तीन सिर है जो सत,रज, तम का प्रतीक है. इनके छह हाथ यम नियंत्रण,नियम ,समानता,शक्ति और दया का प्रतिनिधित्व करते हैं.
- भगवान दत्तात्रेय में शैव, वैष्णव और शाक्त, तंत्र, नाथ, दशनामी और इनसे जुड़े कई संप्रदाय का समावेश है. इनके प्रमुख तीन शिष्य थे दो यौद्धा जाति और एक असुर जाति से था. ये भगवान परशुराम के गुरु माने जाते हैं.
- शिव के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय को दत्तात्रेय ने विद्याएं प्रदान की है. भक्त प्रह्लाद को शिक्षा-दीक्षा देकर श्रेष्ठ राजा बनाने का श्रेय भी भगवान दत्तात्रेय को जाता है. नागार्जुन को रसायन विद्या भी इन्हीं से प्रदान की है.
- भगवान दत्तात्रेय की आराधना से ही गुरु गोरखनाथ को आसन, प्राणायम, मुद्रा और समाधि-चतुरंग योग का ज्ञान प्राप्त हुआ.
भगवान दत्तात्रेय के 24 गुरु
पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, चंद्रमा, सूर्य, बालक, कुमारी, मीन, पिंगला, कुररपक्षी, कपोत, भृंगी, पतंग, भ्रमर, मधुमक्खी, गज, मृग, , सर्प, शरकृत, मकड़ी और अजगर, सिंधु. भगवान दत्तात्रेय का मानना था कि जहां से शिक्षा मिले उसे ग्रहण कर लेना चाहिए. यही वजह है कि इस 24 गुरु से उन्होंने कई गुण प्राप्त किए.
दत्तात्रेय जयंती पर क्या करें ?
शास्त्रोक्त में दत्त जयंती मनाने की कोई विधि नहीं है. इस त्योहार से पहले सात दिनों तक गुरुचरित्र का पाठ करने की प्रथा है. इसे गुरुचरित्र सप्ताह कहा जाता है. मान्यता है भगवान दत्त की पूजा और हवन करने से ज्ञान में वृद्धि होती है. ये त्योहार खासतौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है.
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