Muslim Funeral: इस्लाम धर्म में मुसलमानों के अंतिम संस्कार के नियम को सुपुर्द ए खाक कहा जाता है. मुसलमानों में किसी शख्स की मृत्यु के बाद शव को जलाने के बजाय दफनाए जाने की परंपरा है.


वहीं किसी शख्स की मृत्यु हो जाने के बाद वहां उपस्थित लोग "इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन" कहते हैं. इसका अर्थ होता है, वास्तव में हम अल्लाह के हैं और हम उसी की ओर लौटेंगे. आइये जानते हैं सुपुर्द-ए-खाक को अंजाम देने की क्या प्रकिया है.



  • किसी भी मुसलमान को दफ्न करन से पहले उसे गुस्ल (स्नान) दिया जाता है. करीबी रिश्तेदार और परिवार के लोगों के जरिए गुस्ल देना ज्यादा अच्छा माना गया है.

  • गुस्ल देने के बाद मय्यत (शव) को कफ्न में लपेटा जाता है. कफ्न सफेद कपड़ा होता है और बिना सिला हुआ होता है.

  • कफ्न में लेपेटे जाने के बाद मय्यत को नमाज-ए-जनाजे के लिए ले जाया जाता है, नमाज-ए-जनाजा कब्रिस्तान या मस्जिद में अदा की जाती है.

  • नमाज-ए-जनाजा के बाद मय्यत को कब्र में दफ्त किया जाता है. इस तरह से एक मुसलमान की आखिरी रस्म पूरा की जाती है. 


कब्र कैसे बनाए जाते हैं: दो तरह की कब्रें होती हैं. एक संदुकी कब्र और दूसरी बगली कब्र. भारत में संदुकी कब्र का चलन है. यानी आयाताकार गढ़ा खोदा जाता है. जहां जमीन मजबूत होती है, वहां बगली कब्र बनाई जाती है.


बगली कब्र का मतलब है कि कब्र के गढ़े की नीचली सतह से साइड में खोदाई करके शव के लिए जगह बनाई जाती है.



  • कब्र की लंबाई कितनी होती है: मौटे तौर पर मरने वाले शख्स से एक से दो फीट ज्यादा कब्र की लंबाई रखी जाती है.

  • कब्र की चौड़ाई कितनी होती है: आम तौर पर कब्र की चौड़ाई दो से फीट फीट रखी जाती है.

  • कब्र की गहराई कितनी होती है: ज्यादातर कब्र की गहराई तीन से पांच फीट के करीब होती है.


क्या कब्र में मय्यत को रख देने के बाद सीधे मिट्टी डाली जाती है:  नहीं, कब्र में मय्यत को रखने के बाद सीधे मिट्टी नहीं डाली जाती है, बल्कि पहले कब्र की ऊपरी सतह पर तख्ती, या पत्थर के स्लैब या बांस की बल्लियां डाली जाती है, फिर उसके बाद आम लोग मिट्टी डालते हैं.


दफ्न किए जाने के बाद कब्र पर मिट्टी डाली जाती है. एक शख्स के जरिए तीन बार मिट्टी डालने का आदेश. लोग अपने दोनों हाथों से मिट्टी डालते हैं.


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