Sankashti Chaturthi December 2021 : पौष मास की पहली और वर्ष 2021 की अंतिम संकष्टी चतुर्थी पंचांग के अनुसार 22 दिसंबर 2021 को पड़ रही है. इस दिन कई शुभ योग एक साथ बन रहे हैं. जिस कारण से इस संकष्टी चतुर्थी का महत्व कई गुणा बड़ जाता है. इस दिन क्या विशेष है आइए जानते हैं.


पुष्य नक्षत्र (pushya nakshatra)
ज्योतिष शास्त्र और पौराणिक ग्रंथों में पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना गया है. नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गई है. पुष्य नक्षत्र को सबसे शुभ नक्षत्रों में से एक माना गया है. इस नक्षत्र में किए गए कार्य शुभ फल प्रदान करते हैं. इसीलिए लोग शुभ और मांगलिक कार्यों को करने के लिए इस नक्षत्र का इंतजार करते हैं.


कर्क राशि में चंद्रमा का गोचर (Moon transit in Cancer)
22 दिसंबर 2021 को पंचांग के अनुसार चंद्रमा कर्क राशि में विराजमान रहेगा. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को कर्क राशि का स्वामी बताया गया है. यानि इस दिन चंद्रमा अपनी ही राशि में विराजमान रहेगा. जो एक राजयोग है. चंद्रमा को मन का कारक माना गया है. चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान है. 


संकष्टी चतुर्थी 2021 (sankashti chaturthi 2021)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह में दो चतुर्थी की तिथियां आती हैं. कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है. वहीं, शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2021) के नाम से जानी जाती है. 


गजानन पूजा (Ganesh Puja)
गणेश जी को गजनान भी कहा जाता है. साल 2021 की अंतिम संकष्टी चतुर्थी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी. सकंष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखकर गणेश जी की पूजा (Ganesh Puja) की जाती है. गणेश जी की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं. 


बुधवार के दिन संकष्टी चतुर्थी का महत्व (Sankashti Chaturthi 2021)
बुधवार का दिन गणेश जी को समर्पित है. इस बार संकष्टी चतुर्थी बुधवार के दिन ही पड़ ही है. जिस कारण अत्यंत शुभ माना जा रहा है. इस दिन गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए उपवास रखा जाता है. इस दिन चंद्रमा के दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और बेहतर भविष्य के लिए व्रत रखती हैं. गणेश जी को बुद्धि का दाता कहा गया है. 


संकष्टी चतुर्थी पूजन मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Puja Muhurat 2021)
चतुर्थी तिथि: 22 दिसंबर 2021, बुधवार
पूजन मुहूर्त: रात्रि 08:15 से रात्रि 09:15 तक (अमृत काल)
चंद्र दर्शन मुहूर्त: रात्रि 08:30 से रात्रि 09:30 तक