भगवान श्री राम की गाथा, रामायण हिंदू धर्म के मूलभूत स्तंभों में से एक हैं. हिंदू धर्म में रामायण पाठ को बहुत ही शुभ माना गया है. मान्यता है कि रामायण के पाठ को करने से जीवन में सुख, शांति और पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है. आज हम आपको बता रहे हैं रामायण के एक ऐसे मंत्र के बारे में जिसके बारे में कहा जाता है कि इस एक मंत्र में पूरी रामायम का सार छिपा है.


इस मंत्र के लिए यहां तक कहा गया है कि इस एक मंत्र का जाप पूरी रामायण पाठ करने के बराबार पुण्य दिलाता है. इस मंत्र को श्लोकी रामायण कहते हैं.


इस मंत्र का जाप सुबह स्नान करने के बाद भगवान राम की प्रतिमा के सामने आसन पर बैठकर किया जाना चाहिए. इस मंत्र को जाप कम से कम 11, 21 या 108 बार कर सकते हैं.


मंत्र


आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्. वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्..
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्. पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्..


मंत्र का अर्थ
इस मंत्र का अर्थ यह है कि भगवान राम वनवास गए. उन्होंने सोने के हिरन का वध किया. माता सीता जिनका एक नाम वैदेही है उनका रावण ने हरण कर लिया. सीता को हरण कर लंका ले जाते समय रावण के हाथों से जटायु ने प्राण गंवाएं. भगवान राम और सुग्रीव में मित्रता हुई. बालि का वध कर समुद्र पार किया. लंका का दहन हुआ. बाद में रावण और कुंभकर्ण का राम के हाथों से वध हुआ. यही रामायण की संक्षिप्त कथा है.


राम का जाप करने से बड़ी-बड़ी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है और शांति मिलती है. पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करते समय भगवान राम की कृपा मिलती है.


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