Mahima Shani Dev ki : जंगल में मां छाया का पीछा करते हुए आए भाई-बहन यम और यमी के लौटते समय दानवों के उत्पात के चलते यमी घायल हो गईं. घायल अवस्था में बेटी के सूर्य महल लौटने पर सूर्यदेव ने संध्या बनी छाया को यमी की देखभाल के लिए शनि के पास जाने के बजाय यहीं रुकने के लिए कहा. छाया को रात वहीं रुकना पड़ा.


इधर, शनिदेव दानवों के हमले के बाद मां की सुरक्षा के लिए चिंतित थे. अब तक उनके वाहन कौए ने यम-यमी को सूर्यलोक जाते देख लिया था, जिनके पीछे सूर्यलोक लौटी मां छाया को देखते हुए वह खुद जा पहुंचा था. मां के इंतजार में व्यथित शनि समझ बैठे कि उनके लिए आए दानवों ने संभवत: मां को बंधक बना लिया है. उन्हें परेशान देखकर कौए को दया आ गई, उसने बार-बार पूछने पर शनिदेव को बता दिया कि मां छाया सूर्यलोक गई हैं. मगर मां छाया ने शनिदेव को सूर्य के प्रकाश और दूसरों की नजर में आने से मना किया था. इसके बाद शनिदेव मां की रक्षा के लिए खुद पर लगाए प्रतिबंधों को दरकिनार कर उसी समय सूर्यलोक कूच करने का फैसला करते हैं. 


वाहन कौआ बनता है मार्गदर्शक
यहां एक बार फिर वाहन कौआ मार्गदर्शक बनता है और वह रात के अंधेरे में उन्हें लेकर सूर्यलोक पहुंच जाता है. यहां कई जगह मां को खोजते हुए शनिदेव एक कक्ष से दूसरे कक्षों में घूम रहे होते हैं, तभी एक जगह उन्हें मां छाया की वही लोरी सुनाई देती है, जिसे वह उन्हें सुलाते हुए सुनाती थीं. उनकी आवाज सुनते ही शनिदेव आवाज की दिशा में बढ़ते हैं तो एक कक्ष में घायल यमी को लाड़ करते हुए मां को देख वे हैरान रह जाते हैं. अपनी को दूसरे के लाड़ करते हुए देखकर दुखी मन से शनिदेव जंगल लौट आते हैं.


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