Dev Uthani Ekadashi 2021 Upay: देवउठनी एकादशी पर शाम को सृष्टि के पालनहार श्री हरि से करें जागने का आह्वान, धन प्राप्ति के लिए करें ये छोटा-सा उपाय
Dev Uthani Ekadashi Vrat 2021: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रा योग के बाद जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं.इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत आदि किया जाता है.
Dev Uthani Ekadashi Vrat 2021 Date: देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रा योग के बाद जागते हैं और सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं. चतुर्मास की शुरुआत होते ही श्री हरि शयन काल में चले जाते हैं और कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन जागते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और व्रत आदि किया जाता है. सभी एकादशियों में देवउठनी एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.
कहते हैं इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी जी की पूजा भी करनी चाहिए. इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से धन-हानि की समस्या से भी छुटकारा मिल जाता है. अगर आप भी धन की तंगी से छुटकारा पाना चाहते हैं तो आज के दिन ये छोटा-सा उपाय बहुत कारगर साबित हो सकता है. मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना के साथ-साथ भगवान विष्णु जी और मां लक्ष्मी की आरती अवश्य करें. आरती करने से भगवान और देवी जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.
भगवान विष्णु की आरती (Bhagwan Vishnu Aarti)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥
मां लक्ष्मी की आरती (Maa Lakshmi Ki Aarti)
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत,
मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता
ॐ जय लक्ष्मी माता-2
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