नवरात्रि 2021: स्वर्णिम आभामय मां चंद्रघंटा देती हैं साधकों को शुभ संकेत
Chaitra Navratri 15 April 2021 : नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की साधना होती है. वे भक्तों पर कृपा करने व़ाली हैं. ध्यान पूजा साधना में शुभता के संकेत देती हैं.
15 अप्रैल 2021 को चैत्र नवरात्रि की तृतीया तिथि है. यह तिथि मां चंद्रघंटा की साधना आराधना और पूजा की है. शक्ति संचय के पर्व नवरात्रि में मां चंद्रघंटा की पूजा विशेष महत्व रखती है.
साधकों को दिव्य ध्वनियां और सुगंधि का अनुभव होता है. नकारात्मक भाव विचार और तत्वों का नाश होने लगता है. वास्तव में साधना की तीव्रता मां चंद्रघंटा की कृपा से बढ़ती है. शुक्ल पक्ष का चंद्रमा भी यहां से बलवान होने लगा है. मां के मस्तक पर भी चंद्रमा अर्धचंद्राकार रूप में विराजमान रहते हैं.
पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||
मां चंद्रघंटा का विग्रह शेर पर सवार दसभुजाओं वाला है. मां की ये भुजाएं दसों दिशाओं की प्रतीक हैं. साधना में साधक दसों दिशाओं से शुभ संकेतों को प्राप्त करता है. उसके तप का प्रभाव दसों दिशाओं में प्रभावित होता है. नवरात्रि तृतीया को साधकों का मन मणिपुर चक्र में अवस्थित रहता है.
विभिन्न अस्त्र शस्त्रों से सुजज्जित मां का यह विग्रह साधना के प्रति यथांसंभव प्रयास करने का प्रतीक है. शक्ति संचय का पर्व नवरात्रि कठोर तप की अपेक्षा रखती है. संकल्प सिद्धि के लिए साधक बहुमुखी प्रयास करते हैं.
मां को स्वर्णिम आभा प्रिय भोर के सूर्य की किरणों के समान रंग की वस्तुओं को मां को समर्पित करें. सूर्याेदय से पूर्व उठकर साधनारत हो जाएं. भेंट स्वरूप कलश और घंटियां मां को समर्पित करें.
आपदुध्दारिणी त्वंहि आद्या शक्तिः शुभपराम्, अणिमादि सिध्दिदात्री चंद्रघटा प्रणमाभ्यम्॥
चन्द्रमुखी इष्ट दात्री इष्टं मन्त्र स्वरूपणीम्, धनदात्री, आनन्ददात्री चन्द्रघंटे प्रणमाभ्यहम्॥
नानारूपधारिणी इच्छानयी ऐश्वर्यदायनीम्, सौभाग्यारोग्यदायिनी चंद्रघंटप्रणमाभ्यहम्॥