Devraha Baba: भारतीय हिंदू परंपरा में सदियों से ही ऋषि-मुनियों और साधु-संतों की परंपरा रही है. लेकिन साधु-संतों के चमत्कारों और लीलाओं को समझना आसान नहीं है. सिद्ध योग क्रिया से साधु-संतों ने दिव्य शक्तियां पाई और अद्भुत चमत्कार दिखाए.


सिद्ध योग क्रिया से कोई ठंड में निर्वस्त्र रहता है, कोई केवल टाट पहनकर रहता है, कोई 15-20 सालों तक एक पैर पर खड़े रहता है, कोई सालों मौन रहता है, कोई हिमालय की चोटी पर रहता है तो कोई लंबी आयु तक जीवित रहता है. पुराणों में भी साधु-संतों के सिद्ध योग का वर्णन मिलता है. कई योगी तो ऐसे हुए जिनकी भक्ति और सिद्धियों के सामने ईश्वर भी नतमस्तक हो गए. कई योगियों में एक सिद्ध योगी थे देवरहा बाबा.



देवरहा बाबा कौन थे?  


देवरहा बाबा उत्तर प्रदेश के सिद्ध महायोगी थे. देवरहा बाबा को कई तरह की सिद्धियां प्राप्त थी. कहा जाता है कि बाबा धरती ही नहीं बल्कि पानी पर भी चलते थे और व्यक्ति को देख उसकी मन की बात पढ़ लेते थे. बाबा में जानवरों के मन की बातों को समझने की भी अद्भुत शक्ति थी. देश-विदेश से लेकर बड़ी-बड़ी हस्तियां और राजनेता बाबा से मिलने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लालायित रहती थीं. सरयू नदी के किनारे मईल गांव स्थित अपने आश्रम में देवरहा बाबा भक्तों को दर्शन दिया करते थे. देवरहा बाबा अपने चमत्कारों के साथ ही लंबी आयु के लिए भी जाने जाते हैं.


देवरहा बाबा की लंबी आयु का रहस्य


देवरहा बाबा की आयु को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग मत है. कुछ लोगों का मानना है कि बाबा 250 साल जिए तो कुछ का कहना है कि बाबा 500 साल तक जिए. यह भी कहा जाता है कि बाबा 900 साल तक जिंदा रहे. थे वहीं भक्तों का विश्वास है कि देवरहा बाबा दो शताब्दी से भी अधिक जिए. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बाबा देवरहा की लंबी आयु का दावा किया था. उनके अनुसार जब वे बचपन में बाबा से मिले थे तब बाबा की उम्र करीब 150 साल थी. उस वक्त वे उनके पिता के साथ बाबा के दर्शन के लिए गए थे. राष्ट्रपति के पिता भी बाबा देवरहा को कई सालों से जानते थे.


इसके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज ने भी यह दावा किया था कि उसके परिवार की कई पीढ़ियों ने देवरहा बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया है. बाबा की लंबी आयु को लेकर इसी तरह से कई और सुनी-सुनाई बाते हैं. हालांकि बाबा ने कभी भी अपनी आयु को लेकर स्वयं इस तरह कोई खुलासा नहीं किया. कुछ पुस्तकों व लेखों में यह दावा किया गया है कि बाबा देवरहा ने जीवनभर अन्न नहीं ग्रहण किया. वह केवल दूध, शहद और फलाहार ही लेते थे. 19 जून 1990 को योगिनी एकादशी के दिन बाबा देवरहा ने वृंदावन में अंतिम समाधि ले ली.  


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