(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Devshayani Ekadashi 2020: भोले नाथ के हाथों में आने वाली है धरती की कमान, भगवान विष्णु 1 जुलाई से करेंगे विश्राम
Chaturmas 2020: देवशयनी एकादशी 1 जुलाई को है. इस दिन से चातुर्मास शुरू हो रहे हैं. चातुर्मास में भगवान विष्णु विश्राम करने के लिए पाताल लोक यानि क्षीरसागर स्थिति अपने शयन में चलें जाएंगे. इस दौरान सृष्टि की कमान भगवान शिव के हाथों में रहेगी.
Chaturmas 2020 Start and End Dates: देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का विश्राम काल आरंभ हो रहा है. इस दिन से ही चातुर्मास आरंभ हो जाएंगे. इस बार चार्तुमास 148 दिनों का है. जो 25 नवंबर को देवोत्थानी एकादशी को समाप्त होगा. इस दिन भगवान विष्णु अपने शयन कक्ष से बाहर आ जाएंगे.
इस बार अधिकमास यानि मलमास भी है. मान्यता है कि जिस वर्ष 24 एकादशी के स्थान पर 26 एकादशी होती हैं तो चातुर्मास अधिक लंबा होता है. इस कारण इस बार चातुर्मास की अवधि लगभक 5 माह की रहेगी. देवशयनी एकादशी को पद्मनाभा भी कहा जाता है.
भगवान शिव देखते हैं धरती का कार्य चातुर्मास आरंभ होते हैं भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंप देते हैं. भगवान शिव चार्तुमास में धरती के सभी कार्य देखते हैं. इसीलिए चातुर्मास में भगवान शिव की उपासना को विशेष महत्च दिया गया है. सवान का महीना भी चातुर्मास में ही आता है. जो भगवान शिव को समर्पित है.
भगवान शिव करते हैं धरती का भ्रमण मान्यता है कि चातुर्मास में भगवान शिव धरती का भ्रमण करते हैं. इस दौरान भगवान शिव उन लोगों को दंडित करने का भी कार्य करते हैं जो गलत कार्य करते हैं. वहीं भगवान शिव उन लोगों पर अपना विशेष आर्शीवाद देते हैं जो उनकी पूजा करता है और धरती को सुंदर बनाने का प्रयास करता है.
25 नवंबर को जाग्रत होेंगे भगवान विष्णु पंचांग के अनुसार भगवान विष्णु कार्तिक मास की एकादशी पर जाग्रत अवस्था में आते हैं. उस समय सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं. इस सयम सूर्य मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं. जब भगवान का शयन काल समाप्त होता है तो उसे देवोत्थानी एकादशी कहते हैं.
चातुर्मास में नहीं किए जाते हैं शुभ कार्य चातुर्मास में अनुशासित जीवन शैली का पालन करना चाहिए. इन दिनों में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य नहीं किया जाता है. चातुर्मास में खानपान भी विशेष ध्यान दिया जाता है. चातुर्मास में भगवान का ध्यान किया जाता है.