Devshayani Ekadashi: षोडशोपचार पूजन से प्रसन्न होते हैं श्रीहरि, जानिए देवशयनी एकादशी व्रत का सही तरीका
देवशयनी एकादशी व्रत रखने से चार माह के लिए शयन को जा रहे भगवान को प्रसन्न करने का अनूठा मौका होता है, जिसे कुछ नियमों का पालन करते हुए मनवांछित फल पाया जा सकता है. आइए जानते हैं पूजन विधि.
Devshayani Ekadashi: इस बार एकादशी तिथि का आरंभ 19 जुलाई की रात 09 बजकर 59 मिनट से है, जबकि एकादशी तिथि का समापन 20 जुलाई, 2021 को शाम 07.17 बजे होगा. देवशयनी एकादशी का व्रत रखने जा रहे श्रद्धालुओं को प्रात: काल उठकर साफ और निर्मल जल से स्नान करना चाहिए. अपना पूजा स्थल पूरी तरह साफ और स्वच्छ करने के बाद श्रीहरिविष्णु की प्रतिमा को आसन पर विराजमान करें और भगवान का षोडशोपचार पूजन शुरू करें. भगवान को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं. उनके हाथ में शंख, चक्र, गदा और पद्म यानी कमल फूल सुशोभित करें.
इसके बाद विष्णुजी को पान और सुपारी चढ़ाने के बाद धूप, दीप और पुष्प अर्पित कर आरती उतारें. इसके बाद मंत्र ‘सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्। विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।' पढ़ते हुए विष्णु स्तुति करें. इसका अर्थ हुआ कि हे जगन्नाथ जी! आपके नींद में जाने के बाद संपूर्ण विश्व निद्रित हो जाता है. आपके जाग जाने पर संपूर्ण विश्व और चराचर जाग्रत हो जाते हैं. इस तरह पूजा पूरी कर ब्राह्मणों को भोज कराएं और खुद भोजन या फलाहार करें. देवशयनी एकादशी पर रात को विष्णुजी का भजन और स्तुति करें और खुद सोने से पहले भगवान को सुलाना चाहिए.
देवशयनी एकादशी पर विष्णुजी को प्रसन्न करने का मंत्र
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।
देवशयनी एकादशी संकल्प मंत्र
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
देवशयनी एकादशी विष्णु क्षमा मंत्र
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
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