Devshayani Ekadashi Vrat Parana: देवशयनी एकादशी का 21 जुलाई को किया जाएगा पारण, जानें मुहूर्त और नियम
Devshayani Ekadashi Vrat Parana: 21 जुलाई 2021, बुधवार को देवशयनी एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा, आइए जानते हैं एकादशी व्रत के पारण का मुहूर्त.
Devshayani Ekadashi Vrat Parana: पंचांग के अनुसार 21 जुलाई 2021, बुधवार को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि में देवशयनी एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा. एकादशी व्रत में पारण का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि यदि एकादशी व्रत का पारण विधि पूर्वक न किया जाए तो इस व्रत का पूर्ण लाभ प्राप्त नहीं होता है.
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. एकादशी व्रत को सभी व्रतों में कठिन माना गया है. यह व्रत एकादशी की तिथि से आरंभ होता है और द्वादशी की तिथि पर समाप्त होता है.
देवशयनी एकादशी व्रत (Devshayani Ekadashi Vrat)
आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. इस एकादशी का विशेष महत्व इसलिए माना गया है कि क्योंकि इस एकादशी से भगवान विष्णु का शयनकाल आरंभ होता है. देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ होता है. इसकी अवधि 4 माह की होती है, इसीलिए इसे चातुर्मास कहा जाता है. इस व्रत में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है. भगवान विष्णु का शयनकाल देवउठनी एकादशी पर समाप्त होता है. पंचांग के अनुसार 14 नवंबर 2021, रविवार को कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. इस दिन चातुर्मास का समापन होगा.
देवशयनी एकादशी का पारण (Devshayani Ekadashi Vrat Parana)
पंचांग के अनुसार 19 जुलाई 2021, सोमवार से आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ हुआ था. एकादशी का व्रत 20 जुलाई 2021 को रखा गया था. देवशयनी एकादशी व्रत का पारण 21 जुलाई 2021, बुधवार के दिन द्वादशी की तिथि को किया जाएगा.
देवशयनी एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त (Devshayani Ekadashi Vrat Shubh Muhurat)
देवशयनी एकादशी व्रत का पारण शुभ मुहूर्त - 21 जुलाई 2021, बुधवार को प्रात: 05 बजकर 36 मिनट से प्रात: 08 बजकर 21 मिनट तक.
देवशयनी एकादशी व्रत की पारण विधि (Devshayani Ekadashi 2021 Vrat Parana Time and Vidhi)
देवशयनी एकादशी व्रत का पारण करने के लिए प्रात: स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. भगवान विष्णु की पूजा में पीले रंग की चीजों का प्रयोग करें. उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं. विष्णु मंत्र और आरती का जाप करें. इसके बाद दान आदि करना चाहिए.
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